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Sunil Gupta teacher

Children Stories

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Sunil Gupta teacher

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साहसी बेनिया

साहसी बेनिया

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 बेनिया एक छोटी सी उम्र लगभग 6 वर्ष की एक बनवासी ग्राम की लड़की का नाम था । प्रायः बनग्रामों में देखा जाता है कि माँ - बाप अपने छोटे बच्चों को छोड़कर मेहनत मजदूरी करने जंगल या खेत चले जाते हैं । एक छोटा बच्चा जिसकी उम्र लगभग 3-4 वर्ष तक की होती है उसे बड़े बच्चे के हवाले कर अपनी मजदूरी करने बाहर चले जाते हैं । एक गाँव जिसका नाम लामटा था वहाँ की बेनिया रहने वाली थी वह ग्राम एक नदी किनारे जंगल में बसा हुआ था एक बार उसके माँ - बाप उसके छोटे भाई पन्नू को उसके भरोसे छोड़कर मेहनत मजदूरी करने जंगल चले गये । बनवासी ग्रामों में प्राय : घर दूर - दूर रहते हैं और सभी लोग ज्यादातर छोटे बच्चों को घरों में छोड़कर मजदूरी करने निकल जाते हैं । एक समय बेनिया के घर में भालू ( रीछ ) ने उसके पालने में सोते हुए भाई पन्नू पर हमला कर दिया । बेनिया झट से चूल्हे से जलती हुई लकड़ी भालू को मारने दौड़ी तो भालू को पन्नू को छोड़कर भागना पड़ा । एक बार नासमझ पन्नू सॉप को पकड़ने जा ही रहा था कि बेनिया की नजर जब सॉप पर पड़ी तो दूर से ही लाठी देखकर सॉप को भगा दिया । ऐसे पन्नू की जान बच पाई और एक बार पन्नू ने खेलते - खेलते चूल्हे में जाकर अंगारा पकड़ लिया तो वह बुरी तरह जल गया बेनिया ने झट उसको हाथ देर तक पानी में डुबाये रखा । ऐसी थी साहसी बेनिया ।

इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं ( 1 ) साहस व समझदारी से बड़ी घटनाओं को टाला जा सकता है । ( 2 ) मां- बाप को छोटे बच्चों को छोड़कर नहीं जाना चाहिए । ( 3 ) बेनिया के साहस से सभी बच्चे प्रेरणा लेते हैं।


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