रिश्तों का साथ
रिश्तों का साथ
देखते देखते कोरोना ने हमारे देश मे आहट दे ही दी।पहले तो हम सब ने बड़े मजाक के तौर पे ले लिया।उसपर तरह तरह के जोक्स बनाये,वीडियो बनाये और हँसते रहे।लेकिन यह हँसी ज्यादा देर ठहर नही सकी।
धीरे धीरे कोरोना ने हम सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया।देश मे एक के बाद एक राज्य लॉक् डाउन होते जा रहे हैं।हमारी जिंदगी की दौड़ में हम जिस रफ़्तार से भाग रहे थे अचानक लगा जैसे उसकी रफ़्तार थम सी गयी है।अपने अंतर्मन में झाँकने का एक मौका हमें जरूर मिला है।
जिन रिश्तों को casually या यूँ कह लो टेकन फ़ॉर ग्रांटेड लेते थे उन रिश्तों की अहमियत हम ने अब समझना शुरू कर दिया है।यह किसी भाई का प्यार,उसका कंसर्न और केअर ही तो दिखाता है जब वह अपनी बहन को फ़ोन करके कहता है कि अपना ध्यान रखो।उसका सेनेटाइजर यूज़ करने की हर बार हिदायत देना और इस तरह से कई सारे छोटे छोटे निर्देश देना।ये और इस तरह की कई सारी बातें क्या हम अपनी इस भागदौड़ वाली जिंदगी में भूल नही गए थे?
अपने पुराने दोस्तों की बातें आज कितनी शिद्दत से याद आ रही है।शायद हम सब लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे आभासी दुनिया में कही खो गए थे।इस कोरोना ने हमें अपनी जड़ों से जुड़ने का एक मौका दिया है।
तो चले,हम उन रिश्तों की जड़ों को फिर प्यार से सींचते है।और हम सब जानते ही है कि जिस पेड़ की जड़ें मजबूत होती है वही पेड़ किसी भी बड़े से बड़े तूफान का मुकाबला करता है,उसका सामना करके उसे हराता भी है फिर ये कोरोना क्या चीज है भला?