Archana Saxena

Children Stories

3.8  

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राजकुमारी समीरा और जलपरी

राजकुमारी समीरा और जलपरी

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बहुत पुरानी बात है, एक राजा की दो रानियाँ थीं। बड़ी रानी का एक पुत्र था जिसका नाम समर था। छोटी रानी की एक पुत्री थी जिसका नाम समीरा था। राजकुमार समर अपनी बहन राजकुमारी समीरा से बहुत प्यार करता था। समीरा छोटी थी इसलिए अपने पिता की भी लाड़ली थी, यहाँ तक कि राजमहल में हर कोई समीरा से बहुत प्यार करता था। बड़ी रानी को यह बात बिल्कुल नहीं सुहाती थी। वह समर को समीरा के साथ खेलने से भी मना करती थी। परन्तु समर किसी न किसी बहाने समीरा के पास चला ही जाता।

एक दिन वह हो गया जो नहीं होना चाहिए था। छोटी रानी किसी बीमारी की वजह से भगवान के पास चली गई। समीरा बहुत रोई। राजा भी बहुत दुखी थे। राजा ने समीरा की देखरेख की जिम्मेदारी बड़ी रानी को सौंप दी। राजा के सामने तो बड़ी रानी समीरा से प्यार जताती परन्तु पीछे से वह उसे मारती पीटती। बड़ी रानी से सब डरते थे। समीरा के साथ कैसा अत्याचार हो रहा था यह कोई भी राजा को नहीं बताता था।

यहाँ तक कि समर भी चुप रहता। उसकी माँ ने ये जो कहा था कि अगर बात पिताजी तक गई तो वह समीरा को जान से मार देगी।

बड़ी रानी इतने पर भी नहीं रुकी। एक दिन किसी बात पर नाराज होकर रात के अंधेरे में वह समीरा को तालाब में धकेल आई। 

समीरा चिल्लाई

"बचाओ बचाओ, कोई है ?"

पर गहरी काली रात में उसकी आवाज़ सुनने वाला वहाँ कोई भी नहीं था।

अचानक एक बड़ी सी मछली ने आकर समीरा का हाथ अपने मुख से पकड़ लिया और गहरे पानी में ले गई।

 समीरा जितना डरी उससे भी कहीं अधिक हैरान थी।

वहाँ तो एक अलग दुनिया ही बसी हुई थी। जलपरियों की दुनिया। बहुत सुंदर सी परी रानी सिंहासन पर बैठी हुई थी। 

उसने बड़े प्यार से समीरा से पूछा

"तुम कौन हो बेटी और यहाँ कैसे आ गई ?"

तभी वह बड़ी मछली जो उसे लेकर आई थी उसने बताया

" रानी जी कोई इस बच्ची को पानी में धक्का देकर गया था, यह डूब रही थी तो मैं बचा कर ले आई।"

समीरा ने रोते रोते सारी आपबीती सुना दी। जलपरी रानी को बहुत क्रोध आया।

तब तक सुबह भी हो गई थी।

अचानक तालाब के बाहर समर की आवाज़ गूँजी

"समीरा मेरी बहन तुम कहाँ हो ? वापस आ जाओ। माँ ने तुम्हारे साथ कुछ किया है क्या ? कोई मुझे बताए तो। अब मैं और चुप नहीं रहूँगा।"

समीरा भाई की आवाज़ पर दौड़ कर बाहर आना चाहती थी परन्तु जलपरी रानी ने बताया कि दिन में उनकी शक्तियाँ कम हो जाती हैं। मछली उसे बाहर तक पहुँचा तो देगी परंतु जलपरी उसकी कोई और मदद नहीं कर सकेगी। लेकिन अगर वह रात में जाएगी तो बड़ी रानी को सबक सिखाने के लिए भी कुछ किया जा सकता है।

परन्तु समर की आवाज से बेचैन हुई समीरा उसे इस तरह दुखी होता हुआ भी तो नहीं देख सकती थी। तय हुआ कि मछली का हाथ पकड़ कर वह पानी के ऊपर जाएगी तो परंतु सिर्फ समर से यह कहने कि रात के समय बड़ी माँ पिताजी व सेनापति व मंत्रियों को साथ लेकर यहाँ वापस आए।

समीरा को सुरक्षित देख कर समर की आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे। सारी योजना सुनकर वह वापस लौट गया और रात होते ही सभी को लेकर तालाब के किनारे आ पहुँचा। उसने किसी को कुछ भी नहीं बताया था। राजा अपने राजकाज में इतना व्यस्त थे कि उन्हें अभी तक पता ही नहीं चला था कि चौबीस घंटे से उनकी प्यारी बेटी समीरा का कोई अतापता ही नहीं था।

तालाब के किनारे भीड़ जुड़ गई थी। सब कौतूहल से भरे थे कि आखिर समर सबको क्या दिखाना चाहता था ?

समर ने आवाज लगाई

"समीरा, मेरी बहन मैं सबको लेकर आ गया हूँ। तुम्हें कोई खतरा नहीं है। बाहर आ जाओ।"

बड़ी रानी की तो यह सुनकर सिट्टी-पिट्टी ही गुम हो गई थी।

परन्तु उससे भी अधिक आश्चर्यजनक घटना देखना तो अभी बाकी थी।

अचानक पूरा तालाब रंग बिरंगी रोशनी से जगमगा उठा सैकड़ों जलपरियाँ तैरती हुई ऊपर आ गई थीं। समीरा भी उनके साथ थी। सबके सामने ही जलपरी रानी ने समीरा की बाजुओं को छुआ तो उसके दो खूबसूरत पंख निकल आए। वह उड़ते हुए अपने पिता के समीप पहुँची और रो रोकर सारी घटना कह सुनाई। बड़ी रानी ने सारी बातों को झूठा बताते हुए हाथ ऊपर करके गुस्से से समीरा को पकड़ना चाहा तो समीरा कुछ और ऊपर उड़ गई। 

तभी जलपरी रानी ने चेतावनी दी

"खबरदार जो आज के बाद किसी ने भी समीरा को हानि पहुँचाने की चेष्टा की तो उसे पहले मुझसे मुकाबला करना होगा।"

इस बार राजा बोले, "सारा दोष मेरा है जो मैंने बड़ी रानी पर विश्वास किया और अपनी बेटी का स्वयं ध्यान नहीं रखा। मैं आज इसी समय इसे देशनिकाला देता हूँ।"

बड़ी रानी क्षमा माँगते हुए रोने लगी तो दयालु समीरा ने उसे क्षमा दान दिलवा दिया। 

जब वह अपने पंख जलपरी को वापस करने उसके पास गई तो वह हँस कर बोली

ये तुम्हारे लिए उपहार है हमारा। जब मिलने का मन करे उड़ कर तालाब पर आ जाना और आवाज़ लगा देना। और फिर पंख देख कर तुम्हारी बड़ी माँ याद रखेगी कि तुम्हें सताया तो बदला अब हम लेंगे।"

इसी के साथ सबने विदा ली।


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