Gulafshan Neyaz

Others

4.8  

Gulafshan Neyaz

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प्यार पार्ट 1

प्यार पार्ट 1

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पापा मोबाइल पर किसी से बात कर रहे थे । मैं खुद को घर के कामों मैं उलझे होने का दिखावा कर रही थी। पर ना चाहते हुए भी मेरा पूरा ध्यान पापा की आवाज़ की तरफ था। जैसे ही उनके मुँह से आवाज़ निकली आपको लड़की पसंद है। इस से बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है।

मुझे लगा मेरे जिस्म से जान निकल गई होंठ सूखने लगे मैं सन्न रह गई। सब कुछ जानते हुए भी मैं घर में अंजान बन गई। रात में सब सो गए। बस मैं ही जागती रह गई बार बार करवट बदलने पर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी। मन बहुत बेचैन था। ऐसा लग रहा था जैसे सुकून ख़तम हो गया हो। मैं रुम से बहार आकर आंगन में पड़ी कुर्सी खिंच कर बैठ गई।

आसमान साफ था। चांदनी रात थी। चाँद की रौशनी से सब तरफ रौशनी थी। अंधेरा तो सिर्फ मेरे अंदर था। मैं सोच में डूब गई। सोचा क्या और क्या हुआ, मैं पढ़ना चाहती थी। क्या जिससे मेरी शादी हो रही है वो मुझे आगे पढ़ने देगा। मेरे सारे सपने मुझे टूटते हुए नज़र आ रहे थे। ऐसा सब सोच सोचकर मेरे सर में दर्द होने लगा। मैं बिस्तर पर आकर एक मरे हुए मुर्दे की तरह लेट गई।

मैं बी एस सी कर रही थी।अभी मैने पार्ट 2 का एग्ज़ाम दिया था। मेरे पापा की तबियत ठीक नहीं थी। और घर के हालात भी खराब थे। मेरे पापा मेरी शादी करके जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे। और मैं चाह कर भी उनसे कुछ बोल नहीं पाई, क्योंकि मेरे पापा हमेशा चाहते थे की मैं पढूं।अगर उन्होने ऐसा फैसला लिया था। उनकी कोई मजबूरी थी। लड़का सऊदी रहता था। लड़के के घर वालो को मैं पसंद भी आ गई चट मंगनी और ब्याह वाली बात भी हो गई

मेरे पापा ने रिश्ते के बारे मैं पूछा मैं ना चाहते हुए भी उनको मौन स्वीकृति दे दी। मैने पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत की थी मेरे गाँव में बाढ़ आता था। इसलिए मेरी माँ ने मुझे शहर में रखा था। और हर क्लास चाहे वो मैट्रिक हो या इंटर मैं फ़र्स्ट डिविजन से पास किया मेरा सपना राइटर बनने का था। और मंज़िल के करीब आकर भी मैं मंज़िल से दूर जा रही थी। मेरी माँ मेरी खामोशी समझ रही थी। उन्होने मुझे समझाया लड़का अच्छा है। वो तुम्हें पढ़ने देगा। पर मुझे लगता था ये इतना आसान नहीं है। जो मुझे अपने घर लेकर जायेगा वो मुझे क्यों पढ़ ने देगा। अब तो मैं किसी की बहू किसी की पत्नी और किचिन की मालकिन होकर ही रह जाऊँगी। पता नहीं लड़का कैसा है उसकी सोच कैसी है । जिन्दगानी में सारे इम्तिहान लड़की को ही क्यों देने होते है, मैं यही सब सोचने लगी। उपर से मेरे दोस्तों ने कहा अरेंज मैरिज अब कौन करता है। वो भी लड़का विदेश में रहता है। और तुम्हारे पापा ने फोटो देख कर रिश्ता तय कर दिया।


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