Deepika Raj Solanki

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प्यार का उपहार

प्यार का उपहार

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रसोई से जैसे ही किसी बर्तन की टूटने की आवाज आई अपने लैपटॉप पर काम कर रही मीरा किचन की ओर गई, गीता उसकी काम वाली हड़बड़ाते हुए बोली "दीदी आपका फेवरेट कॉफी मग टूट गया, आप चाहो तो इसके पैसे मेरी पगार से काट लेना"।

मीरा जो पेशे से एक पत्रकार है, उसके गीता की इस बात का हंसते हुए जवाब देते हुए बोली"आज सुबह से तुम बहुत नुकसान कर रही हो ,किस - किस के पैसे काट लो, मैं तुम्हें सुबह से देख रही हूं आज तुम्हारा मन काम में नहीं लग रहा है ,मेरा और मिट्ठू का कमरा भी आज तुम ने सही से साफ नहीं किया, क्या तुम्हारी तबीयत खराब है?, या कोई परेशानी है तो मुझे बता, चल इसे साफ करके जल्दी से खाना लगा दे और हां काम जरा ध्यान से कर, तबीयत खराब लग रही है तो मैं तुझे दवाई दिलवा देती हूं"।

"नहीं दीदी तबीयत ठीक है मैं खाना आधे घंटे में डाइनिंग टेबल पर लगा दूंगी ,आप अपना काम करें और मिट्ठू बाबा का कमरा मैं दोबारा से साफ कर देती हूं "ऐसा बोलकर गीता टूटा मग डस्टबिन में डालने लगी।


"नहीं ,नहीं उसकी ऑनलाइन क्लासेस चल रहे हैं दोबारा से उसके कमरे में मत जाना, उसे डिस्टर्ब होगा।" ऐसा बोलते हुए मीरा दोबारा से अपने लैपटॉप में काम करने चली गई।

ऑनलाइन क्लासेस, ऑनलाइन क्लासेस बड़बड़ाते हुए गीता अपने काम में लग गए।कुछ देर बाद डाइनिंग में खाना लगाकर, गीता घर जाने की इजाज़त लेने के लिए मीरा के पास पहुंची।यह सुनकर मीरा गुस्से में लाल- पीली होते हुए बोली"गीता तुम्हें पता है कि आज मुझे कितना काम करना है, और तुम घर जाने की बात कर रही हो, शाम की चाय और रात का खाना कैसे बन पाएगा, अभी घर के बाकी और काम भी पड़े हैं, तुम ही बताइए सब कैसे होगा?"


 आंखों में आसूं लिए तथा अपने दुपट्टे के कोने को उंगली में लपेटे हुए बोली"दीदी मेरी बेटी कल रात से बिना कुछ खाए ,पिए घर के बाहर बैठी है,कल रात को उसके बाबा ने मुझे और उसे घर से निकाल दिया, मैं तो उसे घर के बाहर छोड़कर सुबह काम पर आ गई, पता नहीं उसके बाबा का नशा उतरा भी है कि नहीं, मेरी बेटी अकेले बाहर बैठी होगी, आप तो आजकल का माहौल जानती ही हो"।

 मीरा अपने लैपटॉप में काम करते हैं हुए ही बोली"क्यों क्या हुआ?"

 आंखों से अपनी बेबसी के आंसू पोंछते हुए गीता बोली "दीदी आपको तो पता है कि मेरी बेटी पढ़ाई में कितनी होशियार है, आपने ही उसका दाखिला मिशनरी स्कूल में कराया था, कोरोना के चक्कर में स्कूल बंद है और ऑनलाइन क्लासेस चल रही है जैसे मिट्ठू बाबा की, कल रात को गुड़िया ने अपने बाबा से एक स्मार्टफोन की ज़िद करने लगी,

लॉकडाउन के चक्कर में उसके बाबा की नौकरी तो जा चुकी है और मेरी पगार से बहुत मुश्किल से घर का खर्च चलता है बाकी बचे पैसे वह अपनी दारू के लिए मुझसे छीन लेते है, बेरोजगारी से परेशान तथा नशे की हालत में उसने गुड़िया को स्मार्टफोन के चक्कर में बहुत मारा और उसे बहुत अपशब्द भी बोले ,बीच-बचाव करने पर उसने मुझे और गुड़िया को घर से बाहर निकाल दिया, अभी तक उसका नशा नहीं उतरा होगा और एक जवान होती हुई लड़की को मैं अकेले घर के बाहर छोड़ आई हूं इसलिए दीदी आज मैं आधे दिन की छुट्टी लेकर घर जाना चाहती हूं"।

 अपना हाथ लैपटॉप के कीबोर्ड से हटाकर मीरा गीता की तरफ देखते हुए बोली"रोज-रोज यह सब नहीं चलेगा आज तो जा, कल अपनी बेटी को भी साथ ले आना रोज-रोज यह बहाने नहीं चलेंगे"।

 ऐसा बोल कर डाइनिंग टेबल में रखे हुए खाने को एक डिब्बे में पैक कर मीरा ने गीता को पकड़ा दिया और कहा "यह खाना अपनी बेटी को खिला देना और कल तुम दोनों समय पर आ जाना कल कोई बहाना नहीं चलेगा समझी"। खुशी में सिर हिलाते हुए गीता जल्दी से अपनी चप्पल पहन कर घर की ओर चल पड़ी। घर पहुंच कर देखा तो उसके पति का नशा उतर चुका था, और वह अपने किए पर शर्मिंदा भी था पर अपनी बेबसी के कारण वह अपनी बेटी को उसकी पढ़ाई के लिए एक स्मार्टफोन दिलाने में असमर्थ था, पर गुड़िया अभी भी एक स्मार्टफोन की जिद कर रही थी ताकि वह अपनी पढ़ाई कर सकें।


 अगले दिन गीता अपनी बेटी को लेकर मीरा के घर समय पर पहुंच गई। अपनी बेटी को झाड़ू पकड़ा कर मीरा तथा मिट्ठू बाबा का कमरा अच्छे से साफ करने की हिदायत देते हुए बोली "तू जल्दी से मिट्ठू बाबा का कमरा साफ कर दे फिर उनकी ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो जाएगी।"

 मीरा ने जैसे ही गीता की बेटी को देखा उसके गुड़िया के हाथ से झाड़ू फर्श पर फेंकते हुए बोली "तुम्हारी उंगलियां झाड़ू पकड़ने के लिए नहीं बल्कि किसी और काम के लिए बनी है"।

 फिर अपने बेटे मिट्ठू को आवाज देते हुए बोली"मिट्ठू जरा सामान लेकर बाहर आना"।

 गीता और उसकी बेटी गुड़िया असमंजस में पड़ गए दोनों सोचने लगे शायद दीदी गुड़िया को कोई और काम करने को देने वाली है।कुछ मिनट के बाद मिट्ठू अपने हाथ में लैपटॉप लेकर आया और उसे डाइनिंग टेबल पर रख दिया।मीरा गुड़िया का हाथ पकड़कर टेबल की चेयर खींच उसमें उसे बैठा कर बोली"यह उंगलियां इस लैपटॉप पर चलाने के लिए बनी है, यहां लैपटॉप अब तुम्हारा है"।

यह देख कर गीता बोले दीदी "इतना महंगा लैपटॉप इसका कैसे हो सकता है"?

"हां हां यह इसी का लैपटॉप है आज से इसे अपनी पढ़ाई के लिए किसी से पिटने की कोई जरूरत नहीं, इसके नेट का खर्चा भी हर महीने मैं ही दूंगी, तुम्हें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं, यह उपहार एक भाई व एक मां समान मौसी की तरफ से गुड़िया के लिए है ताकि उसकी पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित ना हो।"

फिर मिट्ठू को ,गुड़िया को ऑनलाइन क्लासेज के बारे में बताने तथा लैपटॉप चलाने की पुरी जानकारी देने के लिए बोल कर मीरा नहाने चली गई।यह देख कर गुड़िया की आंखों में एक चमक थी और गीता के मन में अपनी पत्रकार दीदी के लिए सम्मान।

 कभी-कभी दूसरे लोग भी ऐसा काम कर जाते हैं जो अपने नहीं कर पाते, बिना किसी अहसान के मीरा ने एक बच्ची की उड़ान को बाधित नहीं होने दिया।

  

  

  

  

  



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