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Thakkar Nand

Others

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Thakkar Nand

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फूटा घड़ा

फूटा घड़ा

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एक गांव में रामु नाम का एक किसान रहता था। वह अपने खेत में काम करके अपना गुजारा चलाता था। एक दिन वह अपने खेत के बीज लेने के लिए शहर गया। दुकान में जब वह बीज ले रहा था तो उसकी नज़र दो घड़ों पर पड़ी।

दोनों घड़े देखने में काफी अच्छे लग रहे थे। रामु ने सोचा की इनको ले जाकर में नदी से ज्यादा पानी ला सकूंगा। यह सोचकर उसने दोनों घड़े ले लिए। अगले दिन उसने दोनों घड़ों को रस्सी की सहायता से एक डंडे में बांध दिया और नदी की ओर पानी लेने चला गया।

नदी में उसने पानी भरा और अपने घर आ गया। घर आने पर उसने देखा की एक घड़े में पूरा पानी था जबकि दूसरे घड़े में पानी आधा था। यह देखकर रामु समझ गया की एक घड़ा फूटा हुआ है।उसने दोनों घड़ों का पानी एक बड़े बर्तन में डाल दिया। इसके बाद भी वह अगले दिन भी दोनों घड़ों को लेकर नदी पर गया और आकर उनका पानी बड़े बर्तन में डाल दिया। किसान के जाने के बाद फूटा घड़ा सही घड़े से बोलता है की मैं किसी काम का नहीं हूँ। मै रोज़ आधा पानी रास्ते में गिरा देता हूँ फिर भी मालिक मुझे रोज़ नदी पर ले जाते है। सही घड़े ने भी बोला तुम किसी काम के नहीं हो और उस पर हँसने लगा। अगले दिन जब रामु नदी पर जाने के लिए घड़े लेने लगा तो फूटा घड़ा रामु से बोला मालिक मै किसी काम का नहीं हूँ।

फिर भी आप मुझे लेकर जाते हो। मैं आपकी मेहनत को ख़राब कर रहा हूँ। इसलिए मुझे यही छोड़ दो। इस पर रामु फूटे घड़े से बोला की तुम अपने आप को बेकार मत समझो। तुम मेरे साथ चलो और रास्ते में आते समय रास्ते के फूलों को देखो उससे तुम्हारा मन ठीक हो जायेगा। फूटा घड़ा मान गया और रामु दोनों घड़ों को लेकर नदी से पानी लेने चला गया। आते समय फूटे घड़े ने रास्ते के फूलों को देखा तो उसको बहुत अच्छा लगा। लेकिन जैसे ही घर पहुंच कर उसने अपने अंदर आधा पानी देखा तो वह फिर से दुखी हो गया।

रामु ने फूटे घड़े को बताया की तुम बेकार नहीं हो तुम भी बड़े काम के हो। जब मुझे पता लगा तुम फूटे हुए हो तो मैंने फूलों के बीज लाकर रास्ते में बो दिए। तुमने जो रास्ते में आते समय फूल देखे वह सब तुम्हारे पानी से उगे हुए फूल है।

इसके साथ तुम्हारी वजह से मुझे फायदा भी हो रहा है क्योंकि इन रास्ते के फूलों को बाजार में ले जाकर बेच देता हूँ। जिससे मुझे इनकी अच्छी कीमत भी मिल जाती है। यह बात सुनकर फूटे घड़े को महसूस हुआ की मै बेकार नहीं हूँ। मेरा भी कुछ लाभ है।


Moral of the story

सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की कोई भी चीज़ बेकार नहीं होती। हमें उसकी अच्छाई को ढूंढकर निखारना चाहिए।


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