फीकी सी हँसी
फीकी सी हँसी


कुछ चीजों ने हमारी जिंदगी को कितना आसान बना दिया है,नहीं ?
किसी ने पत्थर को यूँही पैर से मारा और बस व्हील का जनम हुआ। फिर क्या? आज तक दुनिया भाग रही है।
फिर टेलीफोन आया और हमें कितने सहूलियत हो गयी है दूर दूर के लोगों से बातचीत करने में? अब यह बात अलग है कि हम अपने आसपास के लोगों से ही दूर होते जा रहे है। TV ने तो हम सब पर जादू कर दिया है।
फिर आया इंटरनेट।इंटरनेट ने तो जैसे दुनिया की दुरियाँ ही मिटा दी है।
और मोबाइल फ़ोन ने तो चमत्कार ही कर दिया। दुनिया जैसे हमारी मुट्ठी में कैद हो गयी है।
दुनिया तो मैंने मुट्ठी में कर लिया लेकिन इसकी भारी कीमत चुकानी भी पड़ती है।
साथ मे बैठकर वह किस्से कहना और उसपर खिलखिला कर हँसना। आप याद कीजिए,की कब हम साथ मे बैठकर हँसे है?
आजकल क्या अगर किसी से बात करने का मूड हो तो कोई मैसेज भेज देते है। लेकिन होता बिलकुल उलटा। दूसरी ओर से एक इमोजी आ जाता है।😊😊😊
यह संकेत होता है कि बातचीत खत्म। कोई गुंजाइश भी नहीं ।
इन्हें इमोजी कह लो या स्माइली कह लो। मुझे इनकी हँसी बिलकुल फीकी और बेजान लगती है.....
☺️☺️☺️
क्या आपको पसन्द आती है इन इमोजी की हँसी? ...