नज़र
नज़र
मुस्कान पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रही थी।
तभी उसकी मम्मी नीरा उसके पास आई और काजल पेंसिल से उसके कान के पीछे यह कहते हुए टीका लगा दिया "कितनी प्यारी लग रही है, किसी की नज़र न लगे"। मुस्कान की आँखों में आंसू आ गए "क्यों इतनी परवाह करती हो मम्मा। शादी के बाद कौन लगाएगा, मेरे नज़र का टीका"। नीरा ने कहा "जहाँ हमें साथ में जाना होगा, वहां तो मैं लगा ही दूंगी। जहाँ तुझे अकेले जाना होगा, वहाँ तू खुद लगा लियो"। कहते हुए नीरा हँसने लगी और मुस्कान ने "मम्मा" कहते हुए उसे गले लगा लिया।
रास्ते में मुस्कान को बच्चपन से लेकर अब तक की सभी बातें याद आने लगी। आज भी जब भी कभी वह बीमार होती है, कैसे उसकी मम्मी डॉक्टर के इलाज के साथ-साथ उसकी नज़र उतारती हैं। कभी तेल की बत्ती से, कभी लाल मिर्च से। स्कूल टूर हो या कोई और टूर जब भी कभी वो घर से बाहर कुछ दिन के लिए जाती है। हमेशा उसकी मम्मी भगवान् के पैसे बोल देती है कि वो ठीक-ठाक जाए और ठीक से वापिस आये।
कभी भी उसका कोई कम्पटीशन होता था या उसकी परीक्षा होती थी हमेशा भगवान से उसके लिए प्रार्थना करती रहती थी। उसका रिजल्ट आने पर तो भगवान का धन्यवाद कहते हुए प्रसाद भी चढ़ाती थी।
एक बार तो डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन बोल दिया था। उस दिन पूर्णमासी थी जिस दिन उसकी दूसरी टेस्टिंग की रिपोर्ट आनी थी। तब उसकी मम्मी ने भगवान से प्रार्थना की थी कि मुस्कान की रिपोर्ट नार्मल आजाएगी तो वह ज़िन्दगी भर सत्यनारायण भगवान् की कथा करेंगी और आज उस बात को 10 साल हो गए हैं। तब से लेकर आजतक नीरा ने कथा करने का अपना वचन नहीं तोड़ा।
मुस्कान को समझ नहीं आ रहा था, एक माँ इतना बेपनाह प्यार कैसे कर लेती है। माँ बनते ही कैसे बच्चा ही उसकी प्राथमिकता बन जाता है। बच्चे की इच्छाओं को पूरी करने के लिए एक माँ अपनी ज़रूरतों तक को दबाती चली जाती है। मुस्कान की शादी पक्की हो चुकी थी। वह सोच रही थी "शादी के बाद, उसे इतना प्यार कौन करेगा"।
तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी। उसने देखा नीरा का फोन था। उसने फोन उठाया, तो नीरा एक दम से उससे पूछने लगी "पहुँच गयी"? रात बहुत हो गयी है न, इसलिये मुझे चिंता हो रही थी। मुस्कान ने कहाँ "हाँ मम्मा, बस गाड़ी पार्क करने जा रही हूँ"। मुस्कान मन ही मन सोच रही थी कि "किसी ने कितना ठीक कहा है, भगवान् हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने माँ बनाई है ।