नेकी
नेकी
क्या हुआ भाई ? क्यों कर यूं उदास बैठे हो? और हाथ में यह प्याज क्या कर रहा है? क्या काम करते हो? - पास से गुजर रहे एक महानुभाव ने रंगसाज के चेहरे को पढ़ सवालों की झड़ी लगा दी ।
"बस कुछ नहीं किसी का रोटी-सब्जी लेकर आने का इंतजार कर रहा हूं, ताकि अपने पेट की अग्नि शांत कर सकूं"। - रंग साज ने जवाब दिया। दरअसल रंगसाज जिस घर में पुताई का काम कर रहा था वहां पहले दिन उसे सबके खा लेने के बाद जो खाना बच गया था गृहस्वामिनी ने उसे खिला दिया था, अतः इसी आशा में कि, आज भी उसे खाना मिलेगा, वह साथ में प्याज भी ले आया था, और यह बात उसने उस घर के बच्चों से कही। खाना खाते समय बच्चों ने यह बात अपनी माता से कही लेकिन खाना न बच पाने के कारण वह रंगसाज को आज खाना नहीं दे पा रही थी, तब बच्चों ने कहा- "तो क्या हुआ, हम सभी थोड़ा-थोड़ा अपनी थाली से तो दे ही सकते हैं न"। उधर जब बड़ी देर तक उसे बुलाया नहीं गया तो वह मायूस हो सोचने लगा- "शायद आज पानी पीकर ही वापस काम पर लगना पड़ेगा"। लेकिन तभी गृह स्वामिनी की आवाज आई और वह चहकता हुआ प्याज को गेंद की तरह उछालता अंदर चला गया।
