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Anita Chandrakar

Children Stories

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Anita Chandrakar

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मुर्गे की चोरी

मुर्गे की चोरी

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नीरज को पक्षियों से कुछ ज्यादा ही लगाव था।वह अपने पिताजी से घर में कोई भी पक्षी पालने की जिद करते रहता था, पर उनके पिताजी बिल्कुल भी इस पक्ष में नहीं थे।एक बार नीरज ख़ुद ही बाजार से एक चूजा खरीदकर ले आया।चूजा दिखने में बहुत ही सुंदर था।नीरज ने उस चूजे का नाम "वनराज " रखा।

नीरज चूजे का पूरा ध्यान रखता था। उसे खाने पीने की कोई कमी नहीं होने देता था, उसे कुत्ते और बिल्ली से बचाकर रखता था।घर में चूजे के लिए एक सुरक्षित जगह भी निर्धारित हो गई। अच्छी देखभाल के कारण चूज़े का सही विकास होने लगा।चूजा बड़ा होकर तंदरुस्त मुर्गा बन गया। एक दिन उनके माता पिता किसी काम से बाहर गए।अब वनराज की देखभाल और घर के देखरेख की जिम्मेदारी नीरज पर थी।नीरज घर के कामकाज में उलझ गया और उसका ध्यान कुछ देर के लिए वनराज से हट गया।अचानक वनराज का ख़्याल आते ही वह ,घर के पीछे के आँगन में गया। पर वनराज कहीं दिखाई नहीं दिया।वनराज को न पाकर वह बहुत चिंतित हो गया,इधर उधर खोजने पर भी वनराज नहीं मिला। अब किसी आशंका से उसके आँखों से आँसू झरने लगे।वह घर से बाहर निकला और अपने दोस्तों को सारी बात बताई। फिर वे वनराज को ढूँढनें की योजना बनाकर आस पास के सभी घरों में गए।किसी के घर में भी वनराज नहीं मिला। दुखी मन से वे एक जगह बैठ गए।तभी बच्चों को याद आया कि वे लोग तो छक्कन चाचा के यहाँ जाना ही भूल गए।सारे बच्चे दौड़ते दौड़ते गए और छक्कन चाचा के घर में घुस गए।उनको देखते ही छक्कन चाचा चिल्लाने लगे, अरे तुम लोग अंदर क्यों जा रहे हो, तुम्हारा मुर्गा मेरे घर में नहीं है।" ये सुनकर बच्चों का शक यकीन में बदल गया। उन्हें पता चल गया कि वनराज यहीं है।

वे बोले, "चाचाजी हमने तो आपसे मुर्गे के बारे में पूछा ही नहीं फिर आपको कैसे पता.......?"

सभी बच्चे भीतर जाकर सारे कमरे छान मारे, पर भीतर बहुत अंधेरा था। डरा सहमा वनराज बच्चों की आवाज पहचानकर कुकड़ू कू, कुकड़ू कू, करने लगा।वनराज की आवाज सुनकर सभी बच्चे कमरे की तरफ दौड़े।एक बड़ी सी टोकरी के अंदर, छक्कन चाचा ने वनराज को छुपा दिया था।टोकरी उठाकर नीरज ने वनराज को गोद में उठा लिया। वनराज को पाकर वह बहुत खुश हुआ। सभी बच्चे वनराज को लेकर बाहर आये और छक्कन चाचा से बोले, "चाचाजी चोरी करना और झूठ बोलना बहुत बुरी बात है।" चाचाजी को अपनी गलती का एहसास हो गया, उसने बच्चों से माफी माँगी।

 फिर सभी बच्चे वनराज को लेकर नीरज के घर गए। जब नीरज के माता पिता घर आये तो नीरज ने सारी बात उन्हें बता दी।नीरज के माता पिता ने सभी बच्चों को उनकी सूझबूझ के लिए शाबासी दी।


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