मुझे प्यार हुआ और महसूस भी...
मुझे प्यार हुआ और महसूस भी...
मैं जानती हूँ मैं खूबसूरत हूँ। अभिमान नहीं, गोरी रंगत और आकर्षणशीलता कूट कूटकर भरी है। मुझे एक शादी में जाना था पति देव शादी में न जा सके मैं ही शामिल होने पहुंची। फिरोजी साडी और खुले बाल, हल्का श्रृंगार, सब तारीफो पर तारीफ कल रहे थे और भी मेरे गालों की लाली दे रहे थे। मेहंदी के बाद रात को नाच गाना और डांस।
मैं भी नाची बहुत। हाथ में मोबाईल था अचानक रिंग बजी। मेरी सहेली संगीता का फोन। वो बोली अकेले में आ बात करनी है। मै अकेले की ढूंढ में सीढियों से ऊपर छत पर आ गई।
हम काफी देर तक बात करते रहे। रात के दस बज चुके थे छत पर अंधेरा था पर चाँदनी रात थी। मुझे लगा कोई है, छत पर देखा मैंने पलटकर एक तीस साल के आसपास एक नवयुवक।
मैं बोली, आप यहां कैसे आये और मैं संगीता से बोली बाद में बात करती हूँ। कि है यहाँ और फोन कटकर नीचे जाने लगी। नवयुवक ने मेरी साड़ी का पल्लू खीच कर अपनी ओर खीचा और मैं पलटी उसकी ओर।
उसने मुझे न छूआ न बाहों में लिया कान के पास आकर बोला,
"आप बला की खूबसूरत है, ईश्वर ने बहुत नमस्ते, सब साँचे में ढाला है।"
और मैं हतप्रभ खडी खी, अनछुए अहसास की छुअन में दिल घडक रहा था। बहुत तेज लग रहा था क्या हुआ पहला स्पर्श पर पुरुष का।
मैं नीचे आई और नजरे उसी को तलाश रही थी किससे पूछूँ और क्या पूछूँ वो चला गया और मुझे नहीं मिला।
मेरी नजरे उस शादी में तलाशती रही आज भी लगता है उसकी आवाज ने मुझे वो अहसास कराया कि प्यार क्या होता है मैं उस आवाज से आज भी तारुफ हूँ।
हाँ मुझे भी प्यार हुआ और लगा मैं प्यार में हूँ।