मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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ममता की मूरत

ममता की मूरत

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दादी स्व० श्रीमती पुनिया देवी जी के महान व्यक्तित्व पर कुछ लिख सकूं मेरी कलम में इतनी ताकत नहीं । बस उनके श्री चरणों में समर्पित चंद शब्द ही प्रस्तुत कर पा रहा हूं । उनके जन्म के संबंध में मुझे कोई निश्चित तिथि का पता नहीं, बल्कि उनके पुत्रों व अन्य परिवारीजनों को भी कुछ पता नहीं । उनका जन्म स्थान गांव धारापुरा (फतेहाबाद) था । धारापुरा को हम चर्रपुरा के नाम से जानते -पहचानते रहे हैं । 


दादी जी का प्रेम हमारे हिस्से में कम ही आया । दादी जी ने अपना प्रेम अधिकतर ताऊ- चाचाओं की संतानों पर अधिक बरसाया, मुझे हमेशा ऐसा महसूस होता रहा है बचपन से । क्योंकि दादी ने कभी मेरे छोटे- भाई बहिनों को अपनी गोद में मेरे सामने तो कभी नहीं बिठाया । खैर इसका कारण मेरी मां या पिता रहे होंगे ।


 दादी हमेशा गांव की भूखे- गरीब बीमार लोगों की सहायता करती रहती थीं । शमशाबाद का एक मुस्लिम व्यापारी जब कभी गांव में व्यापार को आता तो वो अपने सारे रुपए दादी को ही रखने को देता था, क्योंकि दादी ईमानदारी की सच्ची मूरत थीं । दादी का वात्सल्य प्रेम हमेशा से ही ताऊ- चाचाओं के प्रति अधिक रहा था । इसलिए अपने हिस्से की संपत्ति लेकर उन्हीं के साथ रहने लगी थीं । मेरी शादी वर्ष 2007 में हुई थी । शादी के बाद दादी का कुछ प्रेम मेरे हिस्से में आया । क्योंकि दादी के प्रेम की मेरे ताऊ- चाचाओं के जवान बच्चों को कोई आवश्यकता नहीं थी । उन्हें आवश्यकता थी दादी की संपत्ति की ।


दादी कुछ- कुछ अस्वस्थ रहने लगी थीं । उन्हें दांत की दिक्कत थी । ताऊ ने गांव के ही झोलाछाप डाक्टरों से इलाज करवाया । दादी की दिक्कत कम होने की वजाय और अधिक बढ़ गयी । ताऊ- चाचाओं ने हाथ खड़े कर लिए । हमें पता चला तो हमने दादी के बेहतर इलाज के लिए उन लोगों से रुपए व अन्य किसी भी तरह के सहयोग के लिए बोला, तब जाकर दादी को आगरा के राम रघु अस्पताल में भर्ती किया गया ।


 डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके दादी के गले में कृत्रिम स्वांस नली लगा दी । इलाज चलता रहा, दादी के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ । उन्हें छुट्टी कराकर घर ले आये । निश्चित तिथि को पुनः डाक्टरों को दिखाने अस्पताल ले गये । किसी डाक्टर की बड़ी लापरवाही से दिनांक 26, 06, 2009 दिन शुक्रवार को दादी का स्वांस रुकने से देहांत हो गया । दरअसल डाक्टर ने कृत्रिम स्वांस नली निकाल दी थी ।


 दादी के दुःखद निधन के बाद हमारे परिवार में आपसी मतभेद और अधिक बढ़ गया ।अपने इन्हीं चंद शब्दों के साथ दादी जी की पवित्र आत्मा की शांति के लिए प्रभु से आत्मिक प्रार्थना करता हूं ।



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