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Vimla Jain

Children Stories Inspirational

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Vimla Jain

Children Stories Inspirational

मकर सक्रांति

मकर सक्रांति

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आज सारे बच्चे नानी को घेरकर बैठ गए।

 नानी नानी सुनाओ कहानी नहीं तो हम तुमको नहीं छोड़ेंगे।

 नानी ने कहा बच्चों आज मैं तुमको मकर सक्रांति के बारे में बताती हूं ।और आज ही के दिन के दूसरे त्यौहार के बारे में भी बताती हूं क्या तुम सुनने को तैयार हो तुमको नई-नई जानकारी देना मुझे अच्छा लगता है।

 कहानी तो तुम रोज ही सुनते हो आज यह सुनो तुमको अच्छा लगेगा तो बच्चे आगे पीछे हुए ना नूकुर करने लगे ।

मगर देखा अब तो नानी नहीं मानने वाली है नहीं तो वह हमको कहानी भी नहीं सुनाएगी।

 नानी ने शर्त रखी पहले मेरी यह पूरी बात को ध्यान से सुनोगे।

 उसके बाद में तुमसे प्रश्न पूछूंगी तब मैं तुमको कहानी सुन आऊंगी।

 बोलो है मंजूर सब बच्चों ने एक स्वर में कहा हां हमको मंजूर है।

 नानी ने कहा आज क्या त्यौहार है बच्चों ने कहा आज मकर सक्रांति है पतंग उड़ाएंगे, तभी एक बच्चा बोला लोहडी है दूसरा बोला अपना ज्ञान बघारते हुए आज बिहू है। नानी अपने बच्चों को बहुत प्यार करा हां तुम सही कह रहे हो चलो अब मैं आज का शुरू करती हूं।

नानी ने कहा पहले तो तुम सब बच्चों को मकर सक्रांति की सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

अब सुनो पहले मकर सक्रांति के बारे में बताती हूं

मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। 

ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्तिके नाम से जाना जाता है। । मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

मकर संक्रांति के इस पर्व से ही शुभ कार्यों की शुरूआत होती है क्योंकि मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तर की ओर गमन करने लगता है. ऐसे में शुभता की शुरूआत का जश्न मनाने के लिए पतंग का सहारा लिया जाता है. वैसे भी पतंग को शुभता, आजादी व खुशी का प्रतीक माना जाता है.

भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां विभिन्न क्षेत्रों में एक ही त्यौहार अलग अलग नाम से अलग-अलग तरह से बनाया जाता है।

उत्तर भारत में मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल, पश्चिम भारत में लोहड़ी तो पूर्वोत्तर भारत में बिहू पर्व की धूम रहती है। झारखंड में इसी पर्व को टुसू पर्व के रूप में मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश और बिहार में यह खिचड़ी या माघी पर्व के नाम से प्रसिद्ध है। चारों ही त्योहार मकर संक्रांति के आसपास ही आते हैं। आओ जानते हैं कि क्या अंतर है इन त्योहारों में।

1. पूजा : मकर संक्रांति के दिन सूर्य और विष्णु पूजा का महत्व है जबकि पोंगल के दिन नंदी और गाय पूजा, सूर्य पूजा और लक्ष्मी पूजा का महत्व है। लोहड़ी पर्व में माता सती के साथ ही अग्नि पूजा का महत्व है। दूसरी ओर बीहू पर्व में मवेशी की पूजा, स्थानीय देवी की पूजा और तुलसी की पूजा की जाती है।

2. पकवान : मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, तिल गुड़ के लड्डू खासतौर पर बनाए जाते हैं जबकि पोंगल पर खिचड़ी, नारियल के लड्डू, चावल का हलवा, पोंगलो पोंगल, मीठा पोंगल और वेन पोंगल बनाया जाता है। लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग बनाया जाता है जबकि बीहू में नारियल के लड्डू, तिल पीठा, घिला पीठा, मच्‍छी पीतिका और बेनगेना खार के अलावा विभिन्न प्रकार के पेय बनाए जाते हैं

3. फसल और पशु : दक्षिण भारतीय पर्व पोंगल पर्व गोवर्धन पूजा, दिवाली और मकर संक्रांति का मिला-जुला रूप है। जबकि मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा के ही महत्व है। लोहड़ी अग्नि और फसल उत्सव है और बिहू फसल कटाई का उत्सव है। इस दिन मवेशियों को पूजा का प्रचलन है।

4. नववर्ष : जिस प्रकार उत्तर भारत में नववर्ष की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से होती है उसी प्रकार दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने वाले दिन पोंगल से ही नववर्ष का आरंभ माना जाता है। थाई तमिल पंचांग का पहला माह है जो पोंगल से प्रारंभ होता है। लोहड़ी ऋतु परिवर्तन का त्योहार है 

5. सूर्य का उत्तरायण : चारों ही त्योहार में सूर्य पू्जा का और सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, सूर्य और विष्णु पूजा का महत्व है तो पोंगल, लोहड़ी और बिहू के दिन फसल उत्सव का महत्व है। लोहड़ी अनिवार्य रूप से अग्नि और सूर्य देव को समर्पित त्योहार है।

6. कथा : मकर संक्रांति की कथा सूर्य के उत्तरायण होने, भागिरथ के गंगा लाने और भीष्म पितामह के द्वारा शरीर त्यागने से जुड़ी है और पोंगल की कथा भगवान शिव के नंदी और फसल से जुड़ी हुई है। लोडड़ी की कथा माता सती और दुल्ला भट्टी के साथ ही फसल से जुड़ी हुई है। बिहू की कथा सूर्य के उत्तरायण होने और फसल से जुड़ी हुई है।  

तो बच्चों तुम को कैसा लगा।

 मैंने जो तुमको बताया कुछ समझ में आया। सब बच्चों ने खुशी से सिर हिलाया हां नानी आपने तो हमको बहुत अच्छी जानकारी दे दी।

 बहुत अच्छा लगा सुनकर के अब जानकारी तो इतनी दे दिए हमको तिल का लड्डू और सब देवों ना खाने को नानी ने कहा क्यों नहीं चलो आज मैं तुमको सब तिलपट्टी और मूंगफली की चिक्की और सब देती हूँ।

मेरे पास थोड़ी पतंग भी है वह भी देखने को पतंग उड़ाना और मजे करना.।

 शाम को मेरे पास आना एक अच्छी सी कहानी सुनाएंगे।

 और सब बच्चे खुश होकर पतंगें लेकर चिक्की लेकर छत पर दौड़ जाते हैं मस्ती करने लगते हैं



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