मजीठा महाराज==========
मजीठा महाराज==========
लग गई लेन बिछौना की।
दादी के सबछौनों की।।
बेटा बैठो सुनो कहानी।
एक हुआ था राजा दानी।।
एक समय की बात है कंकड़ देश का राजा मजीठा अपने देश पर धर्मानुकूल , प्रजावत्सल तरीके से शासन करता था उसके राज्य की प्रजा बहुत ही सुखी थी वह प्रजा को अपने पुत्र की भांति चाहता था सभी प्रजाजन अपने मजीठा महाराज को दादा महाराज दादा महाराज कहकर पुकारते थे राजा भी अपनी प्रजा के सुख दुःख में बराबर के भागीदार रहते। थे। एक बार एक जिन्न महोबा ने राजा - प्रजा के प्रेम की परीक्षा लेनी चाही। महोबा जिन्न ने राज्य के कुछ बच्चों का अपहरण कर लिया और दूर जंगल की एक गुफा में ले जाकर छुपा दिया उसने एलान करवा दिया। कि यदि राजा बच्चों को सकुशल वापिस चाहता है तो उसे अपना सारा राज्य मुझे दान में देना होगा। तभी में वो बच्चों को छोडूंगा।
राजा यह सुनकर खुशी - खुशी अपना राज्य जिन्न को सौंपने को तैयार हो गया प्रजा ने लाख मना किया कि महाराज जिन्न का क्या भरोसा यदि वो अपनी बात से मुकर गया तो हमारे बच्चों के साथ हमारा राज्य भी चला जाएगा। राजा ने कहा में अपने प्यारे बच्चों के बिना भी राज्य का क्या करूँगा मुझे अच्छे बच्चे ( पढ़ने वाले ) बहुत ही अच्छे लगते हैं क्योंकि उनसे ही तो मेरा राज्य उन्नति तरक्की करता है। राजा ने अपना संपूर्ण राज्य उस जिन्न को सौंप दिया जिन्न तो दानी महाराज की परीक्षा ले रहा था उसने खुश होकर राजा का राज्य व चुराये हुए बच्चे वापिस कर दिये और उसने राजा को वचन दिया कि आज से मैं तुम्हारे राज्य का रक्षक रहूँगा।
इस कहानी से हमे निम्न शिक्षायें मिलती हैं
( 1 ) राजा को अपनी प्रजा का ध्यान रखना चाहिए।
( 2 ) प्रजा को भी राजा का पूरा समर्थन करना चाहिए।
( 3 ) अच्छे व पढ़ने वाले बच्चों से सभी खुश होते हैं।
