मेरी सासु माँ
मेरी सासु माँ
मैं और मेरी सासू माँ हम दोनों का रिश्ता बिलकुल टॉम एंड जेरी की तरह है जिसमें लड़ाई भी हैं प्यार भी है ,दोनों एक दूसरे को फूटी आँख सुहाते भी नहीं पर कोई दूसरा आँख दिखा दे , ये बात बर्दाश्त नहीं कर सकते।
बिलकुल इसी तरह मेरे और मेरे सासू माँ का रिश्ता है वो भी मुझे प्यार करती हैं, मैं भी उनको बहुत प्यार और उनका बहुत सम्मान करती हूँ . कुछ ऐसी बातेंं होती हैं जँहा पर हम दोनों की राय एक जैसी नहीं होती, हम दोनों एक दूसरे की बातों से सहमत नहीं होते जिसको लेकर मुझे वो बहुत कुछ बोल भी देती हैं। वो बातें मुझे चुभती भी हैं और गुस्सा भी आता है पर उनकी कही बातों को दिल में रखकर रिश्तों में गांठ नहीं आने देती।
आखिर हमें हमारी गलती पर हमारी माँ भी तो हमें डाटती हैं। उन बातों को तो हम दिल पर नहीं रखते फिर हम सासु माँ को माँ की तरह इज्जत क्यों नहीं दे सकते। उनकी छोटी छोटी खुशियों का ख्याल क्यों नहीं रख सकते, कोई भी रिश्ता गलत नहीं होता बस उस रिश्ते को थोड़ा वक़्त दें और समझने की कोशिश करें. जल्दबाजी में किसी के बारे में अपनी राय ना बनाइये। बस रिश्ते को थोड़ा वक़्त दीजिये फिर सास बहू का रिश्ता भी माँ बेटी की तरह हो जायेगा जिसमें थोड़ा स्वीटी और साल्टी टेस्ट आता रहेगा ।