मेरा जीवन मेरे शब्द
मेरा जीवन मेरे शब्द
मेरी जिंदगी एक खुली किताब ही तो है पहले पिता, फिर पति और भविष्य में बेटा-बहू। पिता सुख देखा नहीं न जाने एक पवन के झोंकें की तरह आते और एक नया तूफान आ जाता... माँ-पापा की कभी नहीं बनी, लडाई, तनावग्रस्त घर उनका चले जाना घर छोडकर समझौता न कर सके दोनों।
तीन भाई-बहन हम संघर्षों का दौर था जिंदगी से शिकवा नही। हर इन्सान कर्माें का दंश भोगता है और मै आज भी संघर्षों से लडकर आगे बढी हूँ! आज ईश्वर ने मुझे सब कुछ दिया है पर शरीर का धन नहीं जिसके पास स्वस्थ शरीर है धन तो कमा ही लेगा...
मै अगस्त २०१९ से डेंगू बुखार से लडी एक माह पलंग पर। जरा सा ठीक हुई तो टायफाइड इनफेक्शन और अब एक नयी शारीरिक गुप्त परेशानी पर जंग जारी है जिंदगी से। कहानी-शायरी मेरा शौक और यहां आना एक संजोग।
ईश्वर से प्रार्थना है लिखतीं रहूं और मन लगा रहे मंच मिला कला बाहर आई प्रतियोगिता तो एक आगाज है मेरा सीखने का कयूंकि पेट से सीखकर कोई नहीं आता... ये प्रकृति रोज नये आयाम सिखाती है, सीखना और लगन पराकाष्ठाओं तक ले जाते है। ये 2019 मुझे कई सौगात दे गया धन्यवाद।
