मेरा भारत
मेरा भारत
भारत का दिल गाँव को कहा जाता हैं,गाँव की पहचान खेती और हरियाली, जिसको देख के दिल खुश हो जाता है!
पर धीरे धीरे गाँव में भी हरियाली अब पहले की तुलना में अब कम हो रही है जो चिंता का विषय हैं।पहले गाँव मेंं चौपाल हुआ करती थी।लोग साथ में बैठकर दो बातें करते, कोई खैनी खाता कोई बीड़ी हुक्का पीता।लड़कियां पेड़ पर झूला झूलती थीं ।लड़के गुल्ली-डंडा खेलते दिखते ,चिड़ियां की मधुर चीं चीं सुनाई देती।
पर अब भारत के गाँव बदल गए जिसमें कुछ बादलाव सुखद हैं तो कुछ दुखद।सुखद ये है कि गाँव के लड़के ,लड़कियां अब स्कूल जाती हैं। अब गाँव के लोग शिक्षा को लेके जागरूक हैं।
पर वँहा से बागीचे, तालाब खत्म हो रहे हैं।अब चिड़ियां की चीं चीं की जगह गाड़ियों की शोर सुनी जती है।
सरकार सड़क के किनारे पेड़ तो लगाती है, पेड़ देख भाल नहीं होने से वो पशु का निवाला बन जाते हैं ।आम नागरिक और सरकार को इन विषय की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करना होगा।पेड़ पौधे हैं तो हम हैं। मेरे भारत की पहचान गाँव हैं । यहां के किसान हैं।सरकार को इनकी तरफ धयान देना होगा, ओधुनिक होना सही है पर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ सही नहीं है।