मैं ऐसा ही हूं

मैं ऐसा ही हूं

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अभी अभी मृदुला से मिलने नर्सिंग होम पंहुची थी शशि, बेहद हैरान थी, पंद्रह साल के बाद हेमन्त और मृदुला को इस बच्चे की क्या सूझी है।मृदुला का चौदह साल का बेटा शिवांश अपनी दादी के पास बैठा था,हमें देखते ही शिवाशं उठ खड़ा हुआ और पास आकर बोला "मैंने आपको पहचान लिया आंटी..आप नकुल की मम्मी हो.."

"अरे वाह शिवाशं ! पहचान लिया तुमने मुझे..,"

"हाँ ..मैं आपको पहले से ही आंटी कहता था ना", चहकता हुआ शिवाशं बोला,

शशि उसे देख भावुक हो आई ,उसके सर पर हाथ फेर फुसफुसाते हुये बोली "कैसे हो बेटा शिवाशं...चलो दादी के पास"।

"मैं अच्छा हूं आंटी.. , आप नकुल को नहीं लाई ?"

"नहीं बेटा..." कहते हुये शशि मृदुला की सास की और बढ़ी।

"नमस्ते माताजी..कैसी हैं आप ?" कुछ औपचारिक बातों के बाद शशि धीरे से बोली, "मांजी मुझे तो कुछ पता ही नही था..आज हेमन्त का फोन आया कि "मृदुला की डिलीवरी है हास्पिटल में चली आओ..तब पता चला..इतने सालों बाद सेकंड बेबी प्लान किया है,"

"हां बेटा मैंने कई बार बातों बातों में जिक्र किया था...पर सुनी नहीं ...अब होश आया है इन्हें",

"मांजी जब शिवाशं सात साल का था मैं तब से कह रही थी कि अगर तुम्हें दूसरा बेबी लाना है तो ले लो क्योकि शिवाशं अन्य बच्चों से कुछ अलग है",शशि ने फुसफुसाते हुये कहा।

"चलो अब जो भी है सब ठीक से हो जाय" मांजी चिन्तित स्वर में बोलीं।

"आंटी सुनो ना" कहते हुये शिवाशं शशि के लगभग कान के पास आकर धीरे से बोला, "आंटी हमारे घर में आज नया बेबी आने वाला है...मैं ऐसा हूं ना...तभी तो मम्मी पापा ने बताया वो नया बेबी लायेगें.., है ना..वो ही तो मेरा ध्यान रखेगा..मैं उसके साथ खेलूंगा...." शिवाशं अनवरत बोले जा रहा था , शशि और दादी हैरान। वातावरण में घुटन भरा दर्द पसर आया।

     


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