करवा चौथ
करवा चौथ
अरे क्यों इतनी पुरानी यादों को कुरेद रही हो ।15 साल की छोटी सी उमरिया में शादी होगयी बहुत खुशी थी कि चलो अब मौज आगयी ।पढा़ई से छुटकारा और भाईयों की बन्दिशे खत्म । कहीं जाने नहीं देते हर समय सी सी टी वी कैमरा आंखो में लगा रहता था उन लोगों के 50 साल पहले इतनी आजादी कहां । शादी के चार महीने बाद आ गयी करवा चौथ,मायके में पहली करवा चौथ क्योंकि गौना नहीं हुआ था । व्रत के नाम से ही बुखार चढ़ने लगा क्योंकि पानी भी नहीं पीते। रात के 2 बजे तक जगे और चाय नाश्ता करके सो गये कि कल पानी भी नहीं मिलेगा । दूसरे दिन व्रत शुरू बड़ी मां और मां दोनों ने कहा आज पानी भी मत पीना हिला दिया सर ,कि नहीं पीयेंगे , दोपहर 12 बजे के बाद हालत खराब 16 श्रृंगार तो भूल गये पेट में तांडव होने लगा । दोपहर को मां ने बाजार भेजा अब चाट का ठेला सामने बहां पर खाये गोल गप्पे आगये घर । रात को पूजा करके अर्क दे दिया पतिदेव तो पास थे नहीं याद तो बहुत आरही थी । खाना खाने बैठे पतिदेव पता ना कहां से आगये हाथ में एक थैला था बोले दोपहर को 5 गोलगप्पे से क्या पेट भरा था लो अब खाओ । मै रोने लगी बोले "पागल मै शहर में ही था मैने तुम्हें बाजार में देख लिया था टोका नहीं ।सच्चा प्यार कभी किसी व्रत के तोड़ने से नहीं टूटता । मेरा तुम्हारा जन्म जन्म का साथ है।" आज भी बच्चों के सामने करवाचौथ को चिढा़ते हैं कि गोलगप्पे ले आऊं ।
ये है मेरी बाली उमरिया की करवा चौथ ।
