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Bhawna Kukreti

Horror Tragedy

4.6  

Bhawna Kukreti

Horror Tragedy

"कोरोना लॉक डाउन-6(आप बीती)"

"कोरोना लॉक डाउन-6(आप बीती)"

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मम्मी जी अभी किचन में चाय बनाते हुए कोई नया गाना गुनगुना रही हैं।वो गाना पहले कभी नही सुना। आज नई हाउस हेल्प गुड्डी 7 बजे आयी थी। उसने झटपट सब कर दिया।मम्मी जी उस से कह रही थीं कि जिंदगी में ऐसी खतरनाक बीमारी कभी नही देखे।हमारी सास जी और उनकी सास जी कहती थीं कि एक बार गांव के गांव खाली हुए थे प्लेग की वजह से।


उसके जाते मम्मी जी आयी थीं खुश लग रहीं थी कह रहीं थी जल्दी जल्दी कर गयी पर चलो सफाई तो हुई। फिर सीरियस हो कर बोली कि तुमको सिखा रहे हैं , तुमको दुनियादारी बिल्कुल नहीं आती ,गुड्डी को इन दो दिन का पैसा दिया जाएगा , 1 तारीख से महीना गिना जाएगा।और ये काम करती रही तो ,आगे इसी को रखा जाएगा, यही साथ दे रही है बाकी तो धोखा दे गयीं ।


आज सुबह से कलोनी में कुत्ते रो रहे हैं। एक हमारे गेट पर रोने लगा है, इसे अच्छा नही मानते न ?!.


इस तरह की खबरें हर तरफ से आ रहीं है,अब इस नामुराद कोरोना और कम्युनिटी ट्रंसमिशन की संभावना की वजह से अगले 10 दिन के लिए सबको बहुत संयम से रहना है , अगर आपके घर मे अभी भी अखबार, दूध वाला, काम वाली बाई, सब्जी वाली ,पड़ोसी, रिश्तेदार हर किसी की एंट्री हो रही है तो एक दम बंद कर दी जाय। मम्मी जी सुनते ही फूट पड़ीं हैं ।बेटा मेरा मुह देख रहा है।


मैं अब बिस्तर से उठ ही जाती हूँ , अब बस दो इंजेक्शन ही रह गए हैं, दर्द में जरा आराम सा भी लग रहा है। जिंदगी रहेगी तो इलाज भी हो जाएगा ,बाद में बाकी आगे देखी जाएगी। बड़ों की हालत और तबियत, काम कर-कर के खराब हो गयी है ।मम्मी जी पूजा कर रही हैं , कातर शब्दों में कह रही हैं " हे दुर्गा, नव दुर्गा कल्याण करो।" वे कराहने लगी हैं।


दिन में सब सो रहे थे, मैं चुपके से बालकनी में गई थी, पर बेटे की आंख खुल गयी।और में फिर वापस बिस्तर पर ।लेकिन सच कितने दिनों बाद नीला आसमान देखा,कितनी साफ हवा थी बिना डेटोल की खुश्बू के। गमले में उगाया गेंदा बड़ा हो गया है उसमें आठ फूल और तेरह कलियां है ।गमले में पुदीना भी खूब हरा हो गया है ।मम्मी जी ने खूब संभाला है।कुछ तस्वीरें ले ली हैं। मगर लोग नीचे बैडमिंटन खेल रहे थे।सब्जी वाले का ठेला भी आता दिखाई दे रहा था।पर ये सब शिकायत करने का अधिकार है क्या मुझे? आज बेटा भी बोला की माँ सबको खेलते देख मेरा भी बहुत मन करता है खेलने का ।आप पोलिस को फोन करो और कहो कि इनको आ कर समझा दें।


अभी हॉस्पिटल से मुझे इंजेक्शन लगाने आये थे ।कह रहे थे कि यहां के लोग कोरोना को ले कर सीरियस नहीं है। ऐसी बेवकूफी इन पढ़े लिखों से नही सोची थी। मम्मी जी सिरिंज फेंक रहीं रही उनके हाथ मे लग गयी, अंगूठे की जड़ पर नस नीली पड़ गयी है। मैंने तुरंत इनको फोन किया , मम्मी जी ने डपट दिया हर छोटी छोटी बात पर ....डेटोल लगा लिया है। इन्होंने हिस्पिटल फोन किया है ,अभी वे लोग फिर आएंगे मम्मी जी को टिटनेस का इंजेक्शन लगाने । मम्मी जी सुई के नाम से एक दम बच्चे के जैसे घबराने लगीं हैं,पहली बार मम्मी जी को ऐसे देखा।पर अब संभल गयीं हैं। बेटे को समझा रहीं हैं ,पहले उठाये थे सुई नही चुभा, अब लग गया ,सब संजोग होता है।


थोड़ी देर पहले इनसे बात हुई।कट गयी, एडिटर का फोन आया है ।ये हॉटेल से रोज ऑफिस निकल रहे हैं। मगर क्यों? वादा किया था इन्होंने । बेटा कह रहा है कि उसे पापा के लिए अब डर लग रहा है। टी वी पर उसने किसी पेसेंट को देख है।उसे जब से पता चला है कि सहारनपुर में में कोरोना के संदिग्ध मरीज़ हैं।वो भी नेगेटिव हो रहा है। उस दिन अपने पापा का फोन छूपा दिया था कि फोन नहीं मिलेगा तो नहीं जाएंगे।चलो, इनका फोन आ रहा है।


मन काफी शांत हुआ है, सहारनपुर शहर में कोरोना के पॉजिटव और संदिग्ध मिलने की जो बात थी वो स्पष्ट हो गयी। शहर में अब कोई केस नहीं है।बता रहे थे कि वहां प्रसाशनिक अमला बहुत कड़ाई से लॉक डाउन का पालन करा रहा है।और ये सैनिटाइजर के अलावा रूम में कुछ स्प्रीट की बॉटल्स ग्लव्स और मास्क ले आये हैं ।आज कार को भी सुबह ख़ुद से सनीटाइज़ किया है। पर मुझसे ज़रा नाराज से हो गए जब बेटे ने बताया कि मैं बालकॉनी में गई। पर बात खत्म होते-होते मना भी लिया ,प्रोमिस किया कि अब नही जाउंगी।


चलो अब सो जाती हूँ अब आंखों में नींद उतर रही हैं।


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