कनखियाँ (बालमन की लघुकथा)
कनखियाँ (बालमन की लघुकथा)
"अब दे तो दे दो अंकल! अब आप टी.वी. पर न्यूज़ देख लो!" यह कहते हुए लाड़ले मासूम बच्चे ने रिमोट से टेलीविज़न चालू कर अपने अंकल का मनपसंद न्यूज़ चैनल लगा दिया।
अंकल का स्मार्ट फ़ोन उनसे पाते ही उसने कहा, "स्क्रीन लॉक तो खोल दो !"
अंकल पासवर्ड टाइप करने लगे, तो मुस्कराकर बच्चे ने दूसरी तरफ़ मुँह फ़ेर लिया।
उसकी उंगलियाँ फ़ुर्ती से मनचाहा गेम डाउनलोड करने के लिए स्टोर एप पर पहुँचने ही वाली थीं कि अंकल ने भी फ़ुर्ती से वह स्मार्ट फ़ोन उससे छीना और फ़ोन गैलरी खोलने के लिए पासवर्ड डालकर कुछ फ़ोटो और वीडियो बारी-बारी से डिलीट करने लगे। बच्चे ने मुस्कराकर तुरंत अपना मुँह दूसरी तरफ़ फेर लिया।
अबकी बार अंकल ने उसे मुस्कराते हुए देख लिया। उन्होंने भी मुस्कुराते हुए अपना वह मँहगा स्मार्ट फ़ोन लाड़ले बच्चे को पुनः सौंप दिया।
"थैंक्यू अंकल, मेरा काम हो जायेगा, आपने फ़ोन की मेमोरी जो खाली कर दी !" मासूम बच्चे ने ख़ुशी से मुस्कुराते हुए कहा, "लेकिन पिछली बार आपने ऐसा नहीं किया था !"
यह सुनकर अंकल जी चौंक गए।
"कहीं इसने कनखियों से मेरे पासवर्ड तो नहीं देख लिये थे? अंकल जी अपने माथे पर हथेली मार कर सोचने लगे। लाड़ले मासूम बच्चे की उंगलियाँ स्मार्ट फ़ोन पर अब अधिक फ़ुर्ती से चल रहीं थीं। उधर कनखियों से उसकी मम्मी उसे देखकर उसकी नन्ही स्मार्टनेस पर ख़ुश होकर मुस्कराये जा रहीं थीं।