कंजूस सेठ
कंजूस सेठ
एक बार धनिचंद नाम का एक सेठ था। वह बहुत कंजूस था। उसके पास कोई भी नौकर ज्यादा दिन तक नहीं टिकता था क्योंकि वह काम पर रखने से पहले नौकर के सामने तीन शर्त रख देता था।
जिसको कोई भी पूरी नहीं कर पाता था। एक दिन मदन नाम का एक लड़का सेठ के पास नौकरी मांगने आया। वह सेठ से बोला वह बहुत दूर से आया है इसलिए उसको कुछ दे दे। सेठ बोला ठीक है मैं तुमको नौकरी पर तो रख लूंगा लेकिन मेरी तीन शर्त है।
मदन ने शर्त पूछी। सेठ बोला की तुमको दिन में या रात में जब भी में कोई काम बोलूँ तुमको वह करना पड़ेगा। दूसरी शर्त तुमको दिन में केवल एक बार ही भोजन मिलेगा। तीसरी शर्त यदि तुम खुद नौकरी छोड़ कर जाते हो तो तुमको मुझे एक साल का पैसा देना होगा।
मदन सेठ की सारी शर्त मान गया। सेठ बहुत कंजूस था। वह मदन को गोदाम से भारी भारी बोरियाँ लाने को कहता और दिन में केवल एक बार ही सूखा भोजन देता था। जिससे वह दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था।
कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा। एक दिन सेठ की बीवी ने उसको भोजन में बहुत कम रोटी दी। मदन ने बोला इतना काम करने के बाद इतना कम भोजन तो सेठ ने बोला तू काम ही कितना करता है। मदन कुछ दिन बाद सेठ से नौकरी छोड़ने को बोला। सेठ ने उसको शर्त याद दिलाई। मदन ने अपनी माँ के कंगन बेचकर सेठ को पैसे दिए और गांव लौट आया। एक दिन गांव में मदन को उसका दोस्त रमेश मिल गया। रमेश ने मदन से परेशानी का कारण पूछा तो मदन ने सारी बात रमेश को बता दी। रमेश ने सारी बात सुनकर सेठ का पता पूछा और मदन को चिंता न करने को कहा। रमेश उस सेठ के पास गया और उससे काम माँगा।
सेठ ने उसको वहीं तीन शर्त बताई। रमेश बोला सेठ जी मैं तो आपकी तीन शर्त मानने के लिए तैयार हूँ लेकिन आपको भी मेरी एक शर्त को मानना होगा। यदि आप मुझको नौकरी से निकालते है तो आपको मुझे एक साल की पगार देनी होगी।
सेठ ने सोचा ऐसी नौबत नहीं आएगी और उसकी बात मान गया। रमेश कुछ दिन तक काम करता रहा। एक दिन सेठ रमेश को बोला जाकर गोदाम से एक बोरी लेकर आओ फिर उसमें ताला लगा देना।
उसने सेठ को सबक सिखाने की सोची उसने बोरी निकालने के बाद गोदाम का ताला बंद नहीं किया जिससे चोर उसकी सारी बोरी लेकर चले गए। सेठ ने अगले दिन रमेश से पूछा तो रमेश बोला उसने तो ताला लगाया था शायद चोर ताला भी तोड़ कर ले गए।
एक दिन सेठानी ने रमेश को बाजार से लकड़ी का गठर लाने को कहा। लकड़ी लाने के बाद रमेश ने पूछा यह लकड़ी का गठर कहाँ पर रखूँ। सेठानी ने गुस्से में बोला मेरे सिर पर रख दे। रमेश ने ऐसा ही किया लकड़ी का गठर सेठानी के सिर पर रख दिया।
जिससे सेठानी चिल्लाई। सेठ ने रमेश को नौकरी से जाने को कहा। रमेश ने सेठ को शर्त याद दिलाई। सेठ उसको पैसे देने लगा तब रमेश ने सेठ को सारी बात बता दी की वह अपने दोस्त मदन का बदला लेने के लिए वहाँ आया है।
उसने सेठ से मदन के पैसे लौटाने को कहा। सेठ ने रमेश को मदन के पैसे लौटा दिए। रमेश ने गांव आकर पैसे मदन को दिए। जिससे मदन बहुत खुश हो गया।
