खुशियों की दस्तक
खुशियों की दस्तक
रोहन और सोनिया कॉलेज में साथ पढ़ते थे। पढ़ते पढ़ते आपस में एक दूसरे को पढ़ने लगे और प्यार हो गया। मां-बाप की इच्छा के विरुद्ध उन्होंने शादी कर ली ।शादी में रोहन के मां बाप की मर्जी नहीं थी अतः उन्होंने उससे संबंध तोड़ दिए। रोहन के पिता शहर के जाने-माने सर्जन थे डॉक्टर थे। उनका बहुत नाम था।मगर उनके बेटे ने डॉक्टर बनना पसंद नहीं करा खफा तो उसी समय से थे।और उस पर उसने उनकी मर्जी के विरुद्ध शादी करी।
दोनों ने रोहन के मां-बाप को मनाने की बहुत कोशिश करी। मगर फिर भी ना माने तो जया जी ने उनकी शादी करवा दी। अब उनके दोनों के मां-बाप जया जी ही हो गई ।शादी को 2 साल हो गए शादी की सालगिरह के दिन दोनों जने खुशी खुशी अपनी गाड़ी में एनिवर्सरी की पार्टी करने जा रहे थे। रस्ते के अंदर एक डिवाइडर आया उनको दिखा नहीं और गाड़ी उल्टी हो गई। और आगे जाकर एक पेड़ से जा टकराई।सोनिया जिधर बैठी थी गाड़ी उधर से ही टकराई थी, और सोनिया के बहुत ज्यादा चोट लगी थी। सिर में चोट आने से और बहुत खून बह रहा था। तुरंत ही उसे एंबुलेंस की मदद से हॉस्पिटल ले जाया गया डॉक्टरस ने राहुल को प्राथमिक चिकित्सा देकर बाहर बैठा दिया और बोला सोनिया की स्थिति गंभीर है उसका ऑपरेशन एक ही डॉक्टर कर सकते हैं उसके पिता का नाम लिया और उसको ऑपरेशन थिएटर में ले गए उन्होंने बता दिया कि स्थिति बहुत गंभीर है बचने के चांस बहुत कम हैं। राहुल तो इतना गंभीर इतना परेशान था , हिम्मत हार गया था कि उसने अपने पिता का नाम सुना ही नहीं।
वैसे ही होश खो बैठा था रोए जा रहा था। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहाथा। उसी समय उसने अपने सास को भी फोन करके सूचना दे दी वे भी आ गई ।उन्होंने समाचार सुनकर राहुल के पिता को फोन कर दिया था। उन्होंने यह नहीं सोचा कि हमारे रिश्ते बिगड़े हुए हैं तो फोन ना करूँ।
उधर से वह लोग भी पुत्रविरह से अपने आप से लड़ रहे थे यह समाचार सुनकर के बहुत दुखी हो गए और वे फटाफट अस्पताल पहुंचते हैं। और ऑपरेशन थिएटर में पहुंच गए। राहुल रो रहा था उसको कुछ होश नहीं था उसको पता नहीं उसके पिता ऑपरेशन थिएटर में पहुंच गए हैं। और उसकी पत्नी का ऑपरेशन वही कर रहे हैं।
उसके मन में तो बस यही ख्याल आ रहा था अब मैं क्या करूं, अब मैं कहां जाऊं, किस की मदद लें। क्या मेरे पापा मानेंगे इलाज करने को ऑपरेशन करने को। शहर के सबसे अच्छे सर्जन है शायद उनके हाथ से ऑपरेशन कामयाब हो जाए। भगवान को मेरे ऊपर दया आ जाए ,
और वह उसकी सास को पकड़ कर के उनकी गोदी में सिर रखकर फिर वही लवारे कररहा था। इतने ज्यादा कर रहा था कि सास बोलने की कोशिश कर रही थी कि तू चिंता मत कर तेरे पिताजी आ गए।
वह सुनने की स्थिति में ही नहीं था। वह तो कुछ सुनही नहीं रहाथा। बस अपना विलाप ही कर रहा था। अपने आपको कोस रहा था। सोनिया तो पार्टी नहीं करना चाहती थी। घर पर ही रहना चाहती थी मैं ही जबरदस्ती उसको बाहर लेकर गया। अपने आप को कसूरवार मानकर बार-बार में रोए जा रहा था और उस लाल बल्ब को देखे जा रहा था जो 3 घंटे से जल रहा था। कुछ भी ना समझते हुए बुरे बुरे ख्याल उसके मन में आ रहे थे ।
तभी लाल लाइट बंद हुई और उसके पिता अंदर से बाहर निकले और उसके पास आकर उसकी पीठ थपथपाते हैं और उसको बोलते हैं "बेटा तूने मुझे नहीं बताया।तूने मुझे जरा सी बात पर पराया कर दिया।मगर हम तुझे एक दिन के लिए भी नहीं भूले थे ।और इस मुश्किल की घड़ी में जब मैं पूरे शहर में सीरियस एक्सीडेंट वालों की ऑपरेशन करके जान बचाने की कोशिश करता हूं। तब तूने मुझे इतना पराया कर दिया कि बताया भी नहीं।
वह तो भला हो जयाबेन का उन्होंने समय पर मुझे सूचित करा और समय रहते ऑपरेशन हो गया। ऑपरेशन सफल हो गया है। अब तेरी सोनिया को कुछ नहीं होगा। और तू अकेला नहीं है हम सब साथ हैं। बेटा कपूत हो सकता है मगर मां बाप तो हमेशा अपने बेटे को उतना ही प्यार करते हैं। यहां से सोनिया को लेकर अपन घर ही जाएंगे ।अब तेरे को अलग रहने की जरूरत नहीं है। हमको तेरी शादी से कोई एतराज नहीं।"
यह सब सुनकर राहुल को लगा वास्तव में आज मेरे शादी की सालगिरह का तोहफा मिला है। मेरे मां-बाप मुझे वापस मिल गए ।फिर पूछता है "मां कहां हैं? मां को पता नहीं है क्या?" पिता बोलते "नहीं मैंने मां को बताया नहीं था कि मैं ऑपरेशन के लिए जा रहा हूं और कौन मरीज है। अगर बता देता तो वह तो एकदम चिंता में आधी हो जाती। चल अब मैं फोन लगाता हूं तु मां से बात कर ले।"
जया बहन उनका आभार प्रकट करती है बोलती है "आपने समय पर आकर मेरी बेटी की जान बचाई उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।" मगर वे बोलते हैं "धन्यवाद की पात्र तो आप हैं। जिसने समय पर मुझे सूचित करा। मैंने आपकी बेटी नहीं मेरे घर की लक्ष्मी मेरी बहू की जान बचाई है।" भगवान का धन्यवाद करते हैं कि उसका ऑपरेशन सफल रहा।और सब खुशी खुशी उसके होश में आने का इंतजार करते हैं ,और घर पर फोन करके बता देते हैं कि वे ठीक है।
वास्तव में आज राहुल का शादी की सालगिरह का दिन सही में पारिवारिक मिलन का दिल बन गया। आज सबके लिए सुनहरा दिन था सोनिया की जान बच गई दोनों को मां-बाप ने अपना लिया जया जी बच्ची की तरफ से निश्चिंत हो गए और सब आज की खुशियों में शामिल थे। आज वास्तव में खुशियों ने उनके घर दस्तक दी थी आज उनके लिए नया सवेरा हुआ था।
