Prabodh Govil

Children Stories

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जंगल चला शहर होने - 19(अंतिम)

जंगल चला शहर होने - 19(अंतिम)

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मांद महल के कॉन्फ्रेंस हॉल में राजा साहब, रानी साहिबा, एडवाइजर मिट्ठू पोपट, लोमड़ी,खरगोश, न्यायमूर्ति शार्क, तीनों सेना प्रमुख हाथी, घोड़ा, मगरमच्छ, प्रिंसिपल हिप्पो सर, बिज़नस टायकून राइनो सर आदि गणमान्य लोग एक ओर बैठे थे और दूसरी तरफ बड़ी सी दीवार पर लगे परदे पर दो इंसान बच्चे मुस्करा रहे थे।

राजा साहब उनसे जो पूछते वो संजीदगी से उसका जवाब देते। कभी लड़की बोलती तो कभी लड़का।

राजा साहब : "बच्चो, हमने बहुत कोशिश की, कि जंगल में भी आप इंसानों की तरह दुनिया बसे, विकास हो, जिंदगी बेहतर बने। कुदरत की शुरूआत से ही हम लोग भी आपके साथ हैं, पर आप मानव कहां से कहां पहुंच गए, जबकि हम अभी तक वहीं के वहीं हैं। इसका कारण हम आपसे जानना चाहते हैं।"

लड़की : "जी, नमस्ते महाराजा साहब! आपकी चिंता जायज़ है। पर इसका कारण सिर्फ़ इतना सा है कि प्रकृति ने आप लोगों को जो शारीरिक शक्ति, बल या ताकत दी आप उसी के सहारे चले। जबकि हम इंसानों ने अपने शरीर की ताक़त से ज्यादा अपने मानसिक बल और बुद्धि पर भरोसा किया। हम जीवन को सफ़ल बनाने के लिए जुटे रहे और सफ़ल भी हुए।"

रानी साहिबा : "लेकिन बेटा, कुछ प्राणियों को तो आप भी खा जाते हैं!"

लड़का : "मैम आपकी बात सही है, पर हम भोजन के लिए और भी बहुत सारी चीज़ें अन्न, फ़ल, सब्जियां, दलहन, मसाले, जड़ी बूटियां आदि खोजते रहे और धीरे धीरे अपने भोजन में उन्हें शामिल करते गए।"

रानी साहिबा : "घास पत्ते आदि तो हमारे भी कुछ प्राणी खाते हैं!"

लड़का : "जी, ऐसे प्राणी निडर होकर हमारे पास भी चले आते हैं, हम उन्हें पालते हैं और कई अच्छी बातें उन्हें सिखाते हैं। जैसे गाय, भैंस, घोड़ा, बकरी, कुत्ते आदि। किंतु पशुओं का वध करके अपना पेट भरने वाले हिंसक प्राणियों से तो हम भी डरते हैं। हम उन्हें भगा देते हैं, कैद कर लेते हैं या फिर उन्हें मजबूर होकर मारना पड़ जाता है। हम उन्हें कुछ नहीं सिखा पाते।"

मिट्ठू पोपट : "पर हम आपकी तरह बोलना सीखने की कोशिश भी तो करते हैं। पर हमारे प्राणियों के आकार बहुत अलग अलग भी हैं न। अब आप व्हेल और तितली को ही देखिए। यहां जिराफ़ और टिड्डा एक साथ रहते हैं। तो उनमें कैसे निभाव हो?"

लड़का : "होगा। ज़रूर होगा। लेकिन तब होगा जब आप रंग, आकार या डीलडौल पर नहीं, बल्कि उन प्राणियों की बुद्धि पर भरोसा करेंगे। छोटे लोग भी समझदार हो सकते हैं। हमारे यहां देखिए, महिलाएं पुरुषों से कद काठी में छोटी होते हुए भी समझदारी, धैर्य, अनुशासन, प्रेम आदि में उनसे मीलों आगे होती हैं। इसीलिए अच्छी तरह पूरा परिवार चलाती हैं।"

हिप्पो सर : "ये बात तो बहुत ही अच्छी है। हम अपने स्कूल में बच्चों को सिखाएंगे।"

लड़की : "सही बात है, पर हमने भी आप लोगों से कई अच्छी बातें सीखीं हैं। हम भी देखते हैं कि चूज़े हमेशा मुर्गी के साथ ही घूमते हैं, कभी मुर्गा उन्हें लेकर नहीं घूमता। बालक की भूख का ख्याल हमेशा मां ही करती है चाहे गाय हो, या चिड़िया। और भी बहुत सी अच्छी बातें हैं आप में!"

राजा साहब (खुश होकर) : "वो कौन सी..."

लड़की : "हमने पंछियों से उड़ना सीख लिया, मछलियों से तैरना सीख लिया, बंदरों से पेड़ों पर चढ़ना सीख लिया। जैसे आप घरौंदे बनाते हैं हम भी बनाते हैं... चींटी, मकड़ी आदि से धैर्य, और भी न जाने क्या क्या..."

रानी साहिबा : "वाह! अदभुत!"

लड़का : "आपके जो लोग हमारे साथ रहे जैसे घोड़ा, बैल, कुत्ता, तोता आदि वो तो प्रशिक्षण लेकर बहुत कुछ सीख गए। आपके कुछ प्राणी तो बेहद सुंदर घौंसले बनाते हैं। इस तरह जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास से तो एक दिन धरती के सभी प्राणी उन्नति कर सकेंगे! हम आपको यकीन दिलाते हैं।"

तभी बाहर कुछ हलचल सुनाई दी। एडवाइजर मिट्ठू पोपट ने सबको बताया कि बाहर लंच की व्यवस्था हो चुकी है अतः अब सभा बर्खास्त होती है। परदे से दोनों बच्चे मुस्कुराते हुए ओझल हो रहे थे। 

राजा साहब ने खरगोश से कहा - "चलिए जादूगर जी, सूप ठंडा हो रहा होगा!"

तभी सारे लोग राजा साहब और रानी साहिबा के साथ सेल्फी लेने के लिए उनके इर्द- गिर्द इकट्ठे होने लगे।



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