Ajay Singla

Children Stories

5.0  

Ajay Singla

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हमारा भविष्य

हमारा भविष्य

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बात साल २०३० की है, नासा में दुनिया के कुछ चुनिंदा वैज्ञानिकों की एक बहुत गंभीर मीटिंग हो रही थी। धरती पे बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के असर को द्देखते हुए ये अंदेशा लगाया जा रहा था के धरती अगले ५० वर्षों के बाद शायद रहने लायक नहीं रहेगी, सभी वैज्ञानिकों की सहमति से एक महत्वकांक्षी योजना बानी जिस के तहत अमेरिका के एक एस्ट्रोनॉट को दूर अंतरिक्ष में कोई ऐसे ग्रह की खोज में भेजा जायेगा जहाँ मनुष्य का रहना संभव हो।



अपने तय समय के अनुसार अंतरिक्ष यान ने अपनी उड़ान भरी और कुछ ही समय बाद वह अपने ऑर्बिट में स्थापित हो गया, कुछ दिनों तक सब ठीक ठाक चलता रहा पर फिर एक दिन यान का संपर्क नासा से टूट गया। एस्ट्रोनॉट ने संपर्क जोड़ने की बहुत कोशिश की पर वो सफल नहीं हो पाया। उसने यान को किसी तरह धरती के कक्ष में भी लाने की कोशिश की पर असफल रहा।



इस तरह ५०-६० साल बीत गए , हालाँकि अंतरिक्ष में उस जगह होने के कारन उसकी उम्र में सिर्फ ५-६ साल का ही बदलाव आया।

कुछ १०० साल बीत जाने के बाद अचानक एक दिन उसे यान को पृथ्वी पर ले जाने में कामयाबी मिल गयी। वो ये सोच रहा था की पृथ्वी पे १०० साल बीत जाने के बाद उसे कैसा माहौल मिलेगा। जब वह धरती पर उतरा तो उसने देखा के आस पास सब जंगल है। उसने अपने कंप्यूटर पे चेक किया के कहीँ उसने गलत लोकेशन तो नहीं भर दी ,पर चेक करने पे लोकेशन नासा ही भरी थी | जब वो यान से बहार निकला तो ५-६ आदि मानव जैसे दिखने वाले व्यक्तियों ने उसे घेर लिया। हालाँकि वो सब उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे और उसकी भाषा समझ और बोल रहे थे ,वो एस्ट्रोनॉट को अपनी गुफा में ले गए और भुना हुआ मांस उसको खाने को दिया।

जब एस्ट्रोनॉट ने अपनी सारी कहानी बताई तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ।


उन्होंने बताया के हमने अपने दादा पड़दादा से सुना है के करीब १०० साल पहले धरती पे बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारन प्राकृतिक आपदाएं बहुत आने लगी जिसके कारण बहुत लोग मरने लगे , खाने की कमी के कारन लोग आपस में लड़ने लगे. फिर देश आपस में लड़ने लगे और वर्ल्ड वॉर की नौबत आ गयी। परमाणु बम के कारन पूरी धरती पे त्राहि त्राहि मच गयी और लगभग सब कुछ ख़तम हो गया। जो कुछ लोग बच गए थे उन्होंने जंगलों में जा कर अपनी जान बचाई और गुफाओं में आदि मानव की तरह रहने लगे | पर उन लोगों के पास कुछ न होते हुए भी वो लोग खुश थे.



इतने में सुबह ६ बजे के अलार्म की आवाज मेरे कानो में पड़ी और मैं जाग गया। मेरा बदन पसीने से तर बदर था। तभी मेरी पत्नी की आवाज आयी के चाय बना दूँ। मैं ये सोच कर संतुष्ट था के ये सब एक सपना था पर मन में ये सोच रहा था के जैसे हम जी रहे हैं कहीं यही हमारा भविष्ये तो नहीं?


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