गुरु द्रोणाचार्य
गुरु द्रोणाचार्य
"मैडम नौवीं कक्षा के विद्यार्थी बहुत ही शैतान हैं, पता नहीं इनके माता-पिता उन्हें क्या-क्या सिखाकर भेजते हैं, जो कहती हूं, उसका उल्टा ही करते हैं"। उमा मैडम ने प्राध्यापिका से शिकायती लहजे में कहा। "जरूर मैडम, मैं उचित कार्यवाही करूंगी"। - प्राध्यापिका महोदया ने कहा। उमा मैडम के कक्षा से बाहर जाते ही , प्राध्यापिका महोदया ने नौवीं कक्षा की दूसरी अध्यापिका मधु मैडम को बुलाकर उनकी राय जाननी चाही, लेकिन यह क्या! वह तो इसे विद्यालय की आदर्श कक्षा बता रही थी। तब प्राध्यापिका ने कक्षा में जाकर बच्चों से सीधे बात की तो सुनकर दंग रह गई। सभी बच्चे एक स्वर में कहने लगे –”मधु मैडम हमारी गुरु द्रोणाचार्य हैं और हम उनके पांडव। हम उमा मैडम के बारे में कुछ गलत कहना नहीं चाहते, लेकिन आप पूछ रही हैं तो बता देते हैं। वह हमारे स्वाभिमान के साथ खेलती हैं, हमारे आत्म सम्मान को चोट पहुंचाती है। पढ़ाने के अलावा वह सब कुछ करती है। उनके हाथ में डंडा लेकर प्रवेश करते ही कक्षा में भय का माहौल बन जाता है। हम समझना तो दूर उन्हें सुन भी नहीं पाते हैं। जबकि मधु मैडम के कक्षा में प्रवेश करने से हमें शांत, सकारात्मक, ओजस्वी गुरुकुल का एहसास होता है। वह हमें सिखाती नहीं है सिर्फ जानकारी देती हैं और हम सब एक ही बार में सीख जाते हैं। विद्यार्थियों के परिपक्व विचारों को सुनकर प्राध्यापिका महोदया गदगद हो उठीं । और एक निर्णय के तहत उमा मैडम को टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल में भिजवा दिया।
