गली में खेल

गली में खेल

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शाम हो गई थी। बाहर से रह रह कर बच्चों का शोर भीतर आ रही थी। बंटू आज बाहर खेलने नहीं गया था। वह एक किताब पढ़ रहा था। लेकिन मन किताब में लगने की जगह गली गली में भटक रहा था। उसकी मम्मी जब कमरे में आईं तो उन्होंने आश्चर्य से पूछा। "क्या बात है ? बाहर खेलने नहीं गए ? तबियत तो ठीक है।" बंटू नाराज़गी दिखाते हुए बोला।

"मैं उन लोगों के साथ नहीं खेलूंगा। सब बेईमानी करते हैं।"

"ऐसा नहीं कहते। वह सब तुम्हारे दोस्त हैं।" मम्मी ने उसे समझाया। बंटू ने किताब में सर घुसाए हुए कहा।

"कोई मेरा दोस्त नहीं है। मेरी सबसे कुट्टी है।"

उसकी मम्मी काम में लग गईं। बंटू किताब पढ़ने लगा। बाहर से बच्चों के खेलने की आवाज़ें आ रही थीं। बंटू ने अपना ध्यान वहाँ से हटा कर किताब में लगाने की कोशिश की। पर मन गली में ही लगा था।

सबके खुशी से चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं। वह अंदाज़ लगाने लगा कि गली में क्या हो रहा होगा। ज़रूर किसी के घर गेंद चली गई होगी। उसके वापस आने पर सब चिल्लाए होंगे। या फिर वो तीसरे घर वाले अंकल सबको टॉफी बांट रहे होंगे। 

अब उसका मन गली में जाने के लिए मचल रहा था। उसने किताब बंद कर दी। बाहर गली में जाने के लिए उठा था कि फिर बैठ गया। उसने मन ही मन सोचा कि वह अब कभी उन लोगों के साथ नहीं खेलेगा। कल उन लोगों ने उसके साथ बेईमानी की थी। वह आउट नहीं था। फिर भी सब आउट आउट चिल्लाने लगे।

कुछ देर बैठा रहा। पर मन बार बार बाहर जाने के लिए छटपटा रहा था। वह कमरे से उठ कर बाहर आ गया। वह घर के गेट पर जाकर खड़ा हो गया।बच्चे खेलते हुए दिखाई दे रहे थे। सब खेल में मस्त थे। कोई भी उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था। उसने धीरे से गेट खोला और गली में आ गया। 

पप्पू ने शॉट मारा। गेंद उसके पास आकर गिरी। उसने गेंद उठाई और बच्चों की तरफ उछाल दी।

पप्पू बोला।

"खेलोगे, पर फील्डिंग करनी पड़ेगी।"

बंटू ने कुछ सोचने का नाटक करते हुए कहा। 

"ठीक है पर तुम लोग आगे से बेईमानी नहीं करोगे।"

कह कर वह जूते पहनने अंदर चला गया।       


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