गिजुआ की दम
गिजुआ की दम
सीधापन कोई दुर्गुण नाही, हँसो नहीं नर - नारी।
आफत में वो काम पड़ेंगे, मति जाये जब मारी।।
एक गाँव जमना खार था वहाँ एक वैसला नाम का लड़का रहता था वह बहुत ही सीधा, कम बोलने वाला अपने काम से काम और राम से राम रखने वाला शर्मिला किस्म का लड़का था सभी मित्र उसे गिजुआ कहकर चिढ़ाते थे गिजुआ भी अपने मित्रों की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था वह मन लगाकर पढ़ने का काम करता था सभी मित्रों के जब वार्षिक परीक्षा परिणाम आये तो वैशला प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ था सभी मित्र ईर्ष्या वश उसे गिजुआ - गिजुआ कहकर चिढ़ाते ही रहते रहे।
एक दिन स्कूल का दल पिकनिक मनाने उमरी डेम गया जो एक जंगल में था।वहाँ बच्चे दाल बाटियॉ बना रहे थे शिक्षक भी उनके साथ थे अचानक जंगल से एक भालू आया उसने सभी पर आक्रमण कर दिया सभी लोग डरकर यहाँ - वहाँ भागने लगे ऐसे में वैशला ने अपनी दम से जलती हुई लकड़ी उठाई और रीछ पर आक्रमण कर दिया रीछ इस अप्रत्याशित हमले से हक्का - बक्का हो गया रीछ को भागते गैल नहीं मिली सभी बच्चे व शिक्षक जो आसपास जाकर छुप गये थे वो आकर वैशला को शाबाशी देने लगे व उसकी प्रशंसा करने लगे सभी ने निश्चित किया कि आज से कोई भी गिजुआ न कहकर वैशला भाई ही कहेगा।इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं ( 1 ) सरलता को किसी की कमजोरी नहीं समझना चाहिए।
