कलमकार सत्येन्द्र सिंह
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सरकार बड़ी खुश थी।
हर बीते रोज़ के साथ एफ.डी.आई. बढ़ रहा था।
मीडिया में बढ़-चढ़ कर खबरें आ रही थीं।
किन्तु वह खुश न हो पा रहा था।
“पड़ोसी की गाय और एफ.डी.आई. कौन से कभी अपने होते हैं?” – उसे रह रहकर अपने पिताजी की बात याद आती रहती है।
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