एक लड़का
एक लड़का
एक लड़का जिसका नाम गोपी है।
गोपी करीब पांच साल का था तब वह और उसकी बहन दोनों ही घर पर थे।
उनके मां बाबूजी काम के लिए शहर आना जाना करते थे।
एक दिन दोनों भाई बहन घर पर ही थे
वो दोनों झुला। झुल रहे थे गोपी कि बहन गोपी को जोर जोर से झुला झुला रही थी और गोपी जुले में से खीर गया और फिर उसका पैर निकल गया जिससे गोपी को बुखार आ गया।
गोपी कि बहन डर जाती हैं और उसके मां बाबूजी को यह बात नहीं बताती है उनके मां बाबूजी घर पर आते हैं और फिर गोपी को अस्पताल ले जाते हैं और चिकित्सक बिना देखे ही गोपी को उसी पैर पर सुई लगा देते हैं जो पैर निकल गया है
उनके मां बाबूजी को यह बात कही दिनों के बाद पता चलती है।
और फिर गोपी को इस बात से बहुत तकलीफ़ होती है इलाज के लिए चिकित्सक ने काफी पैसे मांगे और गोपी का इलाज नहीं हो सका।
गोपी ने उसी दिन ठान लिया कि मैं इसे अपनी कमजोरी कभी नहीं बनने दूंगा।
वो पढ़ाई करने लगा और रोज काम पर भी जाता गोपी ने बिजली का काम भी सिख लिया था और फिर उसने पानी कि मोटर सुधारने का काम भी कर ने लगा गोपी फिर पढ़ाई के लिए शहर चला गया। शहर आने के बाद उसने काम करने लगा और साथ में पढ़ाई भी।
वहाँ पर गोपी की एक लड़की से मुलाकात हुई जिसका नाम सिया था सिया का एक ढाबा था।
गोपी यही से खाना खा लिया करता था क्योंकि कि सिया वही खाना खिला कर ही मानती थी।
क्योंकि वो मन ही मन में गोपी से प्रेम करने लगी थी वो कहीं बार गोपी कि फिसल भी भर देती थी।
गोपी कि नौकरी कालेज में ही लग गई थी और गोपी ने यह समझा ही नहीं कि सिया उससे प्रेम करती है और फिर सिया कि शादी तय हो जाती है वो लड़का इंजीनियर है गोपी को सिया उस लड़के से मिलवाती है और गोपी आज भी नहीं समझा सिया कि शादी तय हो गई वो पहली पत्रिका गोपी को ही देने जाती है और कहती हैं कि तुम मेरी शादी में मत आना क्योंकि गोपी कि शादी हो चुकी थी सिया ने गोपी को कहीं बार लेटर लिखा था वो लेटर आज भी गोपी के पास है।
आज भी गोपी सिया को याद करता है और मन ही मन दुखी हो जाता है।
वो कहते है ना कि अब पछताने से क्या होगा, जब चिड़िया चुग गई खेत।