एक बुढ़िया की कहानी
एक बुढ़िया की कहानी
जान बची लाखों पाये
शाम को बची सुबह फिर आये..
एक ऐसी लोक कहानी जिसे मैं बचपन में सुना था ।
एक अनाथ बुढ़िया किसी तरह जो अपना जीवन यापन कर रही थी अचानक उसे एक दिन अपने मायके की याद आयी और वह दोपहर बाद चल दी ।
वह अपने द्वारा लकड़ी की एक गाड़ी बनायी थी जो उस समय काठ गाड़ी के नाम से जानी जाती थी ।
ढ़ाई कोस की दुरी भी तय करनी थी उसे
जाते-जाते रास्ते में ही शाम हो गयी । फिर भी हिम्मत ना हारकर वह हाथ गाड़ी चलाती चली जा रही थी ।
अचानक दो सियार आये और गाड़ी को रोक दिये । बुढ़िया ने पूछा क्या बात है तुम लोगों ने मेरा रास्ता क्यूँ रोक लिए हमें जाने दो ..
सियार बोला कहाँ जा रही है बुढ़िया तुझे तो हम लोग मारकर खायेंगे अब । कई दिन से हम लोग भूखे हैं ।
बुढ़िया उनकी बात सुनकर दंग रह गयी फिर बड़ी चालाकी से उन्हें समझायी और वे मान गये..
हुआ यूँ कि बुढ़िया बोली देखो मेरे आगे-पीछे कोई नहीं है । मायके में भाई की बीबी यानी भाभी की तबियत बहुत खराब है । मैं उन्हीं को देखने जा रही हूँ । ऐसा करो आज मुझे जाने दो कल लौटते समय मैं पुनः इसी रास्ते से आउंगी और तुम लोग मुझे मारकर खा लेना हमे भी इस जीवन से मुक्ति मिल जायेगी..
सियार मान गये उस बुढ़िया की बाते और उसे जाने दिया । रात में घर पहुँचकर जब सारी बाते वह अपनी भाभी से बतायी तो भाभी ने उसे एक तरकीब सुझाई..
दूसरे दिन सुबह बुढ़िया परेशान थी उसका परेशान चेहरा देखकर उसकी भाभी बोली लो एक पोटली बालू रख लो अपने आगे जब वे तुम्हे खाने को बोले समय के हिसाब से तुम यह बालू उनकी आँखों में डालकर भाग जाना..!
बुढ़िया को भी बात समझ में आ गयी और वह वहाँ से चल दी । इधर सियार लोग बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर ही रहे थे कि बुढ़िया आकर उनके सामने गाड़ी रोक दी । सियार बड़े प्रसन्न थे । उनका हावभाव देखकर बुढ़िया बोली हमें मारने की मेहनत मत करो वैसे ही खा लो ।
सियारों की ख़ुशी दोगुनी और बढ़ गयी । सोचने लगे कहाँ से शुरू करें खाना । बुढ़िया बोली देखो मैं झुक जाती हूँ तुम लोग मुझे पीछे से खाना शुरू कर दो मांस भी पीछे बची है अब ।
सियार दोनों खाने के लिए ज्यो बुढ़िया के पीछे बढ़े वह बालू की पोटली खोली और दोनों हाथ से बालू लगी फेंकने..
सियार बालू से चौन्धियाने लगे और बुढ़िया वहाँ से अपनी जान बचाकर भाग गयी ।
इस तरह बुढ़िया दूसरे की परामर्श और अपनी सूझ-बूझ के द्वारा इस परेशानी से छुटकारा पा गयी और उसकी जान भी बच गयी..!
