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एक आंख का चश्मा

एक आंख का चश्मा

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सुबह जब आंख खुली तब हल्की बारिश के कारण मौसम खुशनुमा हो रखा था । सोने पे सुहागा आज रविवार के कारण ऑफिस की छुट्टी थी । इस सुहावने मौसम को एंजॉय करने के लिए बढ़िया ब्रेकफास्ट का ऑर्डर करने के लिए मोबाइल उठाया ही था की डोर बेल की मधुर आवाज कानों में शहद घोल गई ।


दरवाजे पर सोहन खड़ा था । अरे वही सोहन जो खुद को समाजसेवी कहता है । जरा गौर करें मैने कहा कि खुद को समाज सेवी कहता है, वास्तव में है या नहीं यह तो बहस का मुद्दा है ।


मौसम का असर सोहन पर भी स्पष्ट दिखाई दे रहा था और वो फैसला करके निकला था की आज ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर तक बाहर किया जाएगा और वो भी फिल्म देखते हुए । सोने पे सुहागा की यह सब किसी और के पर्स का वजन कम करते हुए किया जाना था । बस इसी उद्देश्य से सोहन मेरे दरवाजे पर खड़ा था ।


खेर काफी बहस के बाद तय हुआ कि खर्च आधा आधा बांट लिया जाएगा । ब्रेकफास्ट लंच डिनर की जगह तय हो चुकी थी बस फिल्म कोनसी देखी जाए यह तय करना बाकी था । फिर अचानक सारा पैरोग्राम कैंसल करके सोहन निकल लिया ।


दरअसल सोहन एक्वामेन देखना चाहता था और मैने उसे याद दिलवा दिया की इस फिल्म में अंबर हर्ड है । सोहन ने भी हां में हां मिलाते हुए कहा की हां अंबर हर्ड है और वो बहुत खूबसूरत लगी है । सोहन समझ ही नहीं पाया की क्या कह रहा हूं ।


जब समझाया कि तुमने डोमेस्टिक वायलेंस के जिन आरोपों के कारण कारण से जॉनी दीप की पायरेट ऑफ कैरिबीन सी को बॉयकॉट किया था अब डोमेस्टिक वायलेंस की अपराधी अंबर हर्ड है और इस बार आरोप नहीं साबित हो चुके आरोप है तो इस वजह से एक्वामेन को भी बॉयकॉट करो तो नाराज होकर बड़बड़ाते हुए चला गया । बड़बड़ाहट में मुझे सिर्फ एक लाइन समझ आई की कैसे कैसे खपती लोग भरे पड़े है । 


और मैंने मुस्कुराते हुए ब्रेकफास्ट में दस अलग अलग तरह के पकोड़े का ऑर्डर करने के लिए मोबाइल उठा लिया।


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