Anshu sharma

Children Stories

4.0  

Anshu sharma

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एहसास

एहसास

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मोनू देखो ! बेटा आपकी एक बहन आई है। कितनी प्यारी! कितनी छोटी सी है ! मनोज ने अपने तीन साल के बेटे को गोद में उठाते हुए ,अपनी बेटी दिखाई। मम्मी यह मेरी बहन है? हां बेटा ,यह तुम्हारी छोटी सी प्यारी बहन है जिसके साथ तुम खेला करोगे। साधना ने मोनू को समझाते हुए कहा। ऐसे छू लूं क्या मम्मी?

नहीं, नहीं यह बहुत छोटी है इसके चोट लग जाएगी। मोनु बार बार छुना चाहता मनोज ने भी मोनू को नीचे उतार कर कहा, वहां कुर्सी पर जाकर बैठ जाओ। तुम बार बार छूते हो। मोनू धीरे-धीरे पीछे बैठ गया और मनोज और साधना बेटी के साथ उसके काम में व्यस्त हो गए। तीन दिन मोनू, दादा दादी के साथ रहा। दिन में आता था मिलने। चार दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई थी। और घर भी आ गए। रात को मोनू, साधना के पास सोने की ज़िद करने लगा। पर साधना ने उसे समझाया कि बेटा आपकी बहन को मेरी जरूरत है अभी अभी मैं उसको अलग नहीं सुला सकती।

आप पापा के पास जाकर सो जाओ। मनोज के पास मोनू गया पापा मुझे नींद आ रही है मुझे सुला दो !मनोज अपने लैपटॉप में बिजी था उसने का बेटा अभी मैं थोड़ी देर बाद आता हूं। आप जाकर बेड पर लेट जाओ। मोनू बैठे बैठे पापा का इंतजार करता रहा और मनोज लैपटॉप में बिजी और मोनू ना जाने कब सो गया ? ऐसे ही कुछ दिन बाद मोनू ने धीरे से अपनी बहन के पास उसके हाथ छूने लगा साधना ने हाथ झटके से हटाते हुए कहा मना किया है ना हाथ से छूने को। मोनू सहम गया और दूर जाके खड़ा हो गया और आँखो में आँसू लिए सबको देखता रहा। दादी ने महसूस किया और उसे अपने साथ ले गयी। साधना और मनोज को ही याद ही नहीं रहा की, छोटी बच्ची के आने की खुशी में वह मोनू को नज़रअंदाज़ करते जा रहे हैं।


बच्ची बड़ी हो रही थी उसके रोने की आवाज़ सुनकर मनोज भाग आया। क्या हुआ ! परी क्या हुआ ? मुझे यह बॉल चाहिए। मोनू बहन को खिलौना दे दो। पर.. पापा मैं उसे खेल रहा हूँ। नहीं ,जब छोटी है वह मांग रही है तो आप उसे दे दो! मोनू ने धीरे-धीरे हाथ आगे करके पकड़ा दी और आंखों में पानी लिए अलग कमरे में चला गया और ऐसा बहुत बार हुआ। दादा -दादी के पास शिकायत की। दोनो ने प्यार से समझा दिया। और अलग से साधना ,मनोज को समझाया ,मोनु पर भी ध्यान दो। पर दोनो अपनी व्यस्तता का बहाना बना लेते। 


यह अक्सर उसके साथ हो रहा था। जब भी परी कुछ मांगती या कुछ तो उसे छोटी है कुछ ना समझा सकने की वजह, से मोनू पर डांट पड़ जाती थी। या मोनू कहता की मम्मी आज आप अपने हाथ से खाना खिला दो तो कहती अब तुम बड़े हो गए हो ना! मुझे परी को खाना खिलाना है इसलिए तुम धीरे-धीरे अपना खाओ, या दादी खिला देगी। अब मोनू को यह महसूस होने लगा था कि कोई मुझे प्यार नहीं करता कोई मेरे पास होता नहीं। कोई मुझे अपने हाथ से खाना नहीं खिलाता और मुझे डांटते हैं। उसके मन में यह विचार आने पर वह परी की तरफ चिढ़चढ़ाने लगा था। किसी भी बात पर जब उसके मम्मी पापा नहीं होते तो उसे मार देता और जोर से भाग जाता। पढ़ाई करने का मन भी कम हो गया जो टयूशन में पढ़ता बस वही करता। मनोज आँफिस के काम में व्यस्त रहता। साधना परी की देखभाल में। कभी कोई मेहमान आते तो साधना बोलती, परी बड़े होकर मोनू से होशियार रहेगी। ऐसा सुनकर मोनू को अंदर अंदर गुस्सा आता परी पर ।


एक दिन जब परी रोई तो मनोज ने मारते हुए मोनु को देखा तो मनोज ने जोर से एक चाँटा मोनु के लगा दिया। क्यूँ मारा परी को ?कितनी छोटी है। मारूंगा वो गंदी है जब से आई है आप दोनो मुझे प्यार नही करते, कहकर भाग गया। मनोज गुस्से में मारने बढ़ा। मोनु के दादा जी ने हाथ पकड़ा और बोले मोनु अंदर जाओ बेटा। मोनु चला गया।  क्यूँ रोका पापा ? साधना को बुलाओ। 

जब दोनों आए तो मोनू के दादा दादी ने उन दोनों को कहा बहुत बार तुम दोनो को समझाया पर आज जो हुआ, तुम्हें नहीं लगता कि कुछ गलत हो रहा है परी छोटी है पर तुम्हारे मोनु को प्यार ना करने से इस बात का मोनू पर क्या फर्क पड़ रहा है? समझदारी यह है कि अगर परी छोटी है तो थोड़े थोड़े काम बांट लिया जाए अगर साधना परी को सुला रही है तो मनोज मोनू को खुला सकता है। जब से परी आई है तुम सारा ध्यान दोनों परी में ही लगा देते हो ।साधना तुम परी सो रही है तो क्या कुछ मिनट मोनु के पास नही जा सकती। मोनू के ऊपर क्या बीत रही है? वह जो बच्चा मम्मी पापा के लाड में तीन साल तक रहा है और अचानक उसे दूर कर दिया गया कि दादा दादी के पास रहो।


दादा दादी का प्यार अपनी जगह है और माता पिता का प्यार अपनी जगह। कहीं कहीं उसे माता और पिता दोनों की जरूरत पड़ती है। उसका पढ़ाई में ध्यान कम हो रहा है उसको कुछ अच्छा नहीं लगता। गुस्सा कर लेता है जल्दी-जल्दी आखिर क्यों? पहले मोनू ऐसा नहीं था तुम दोनों नासमझी कर रहे हो और आज मुझे तुम्हें समझाना पड़ रहा है दो बच्चों में कभी भी भेदभाव नहीं आना चाहिए अगर बचपन से ही परी और मोनू आपस में प्यार के साथ नहीं रहेंगे तो यह बात उनके मन में घर कर जाएगी ।कभी-कभी परी अगर मोनू से कोई चीज मांग रही है तो कभी-कभी परी को बहला सकते हो और मोनू की तरफदारी कर सकते हो जिससे उसे यह न लगे कि हमेशा परी का ही साथ दिया जाता है ।


छोटी-छोटी बातें हैं इनको ध्यान देना चाहिए कितनी बार देखा है! हमेशा उसकी तुलना मोनू से करते हो। परी होशियार निकलेगी मोनू क्यों नहीं निकलेगा होशियार ?मोनू के सामने यह सब कहने की जरूरत नहीं है ।तुलना बच्चों की करने से बच्चों के मन में भेदभाव आता है। बहुत लोगों को देखा है काला, गोरा रंग,पढ़ाई में, हर चीज में दो बच्चों की तुलना कर देते हैं जो कि कभी नहीं करना चाहिए। मनोविज्ञान के तौर पर बच्चे का मानसिक स्तर बहुत कमजोर होता है इसीलिए मुझे लग रहा है कि तुम्हें अब यह बात समझ में आ गई होगी।


मनोज और साधना को अपनी ग़लती का एहसास हो गया था। साधना और मनोज मोनू के पास पहुँचे। साधना बोली अरे! यह हमारा बेटा नाराज़ है क्या? चलो मनोज आज तुम इसको बाहर घुमाने ले जाओ। इसको पिज़्ज़ा खिलाओ,आइसक्रीम खिलाओ। और जो मोनू बोलेगा आज वह होगा और हां साधना जब तक परी छोटी है तब तक मोनू मेरे साथ ही सोएगा और मैं ही से खाना खिलाऊंगा। मोनू बेटा जल्दी से तैयार हो जाओ !और मोनू हँसता हुआ क्या सच !आप मेरे साथ चलेंगे बाजार, आइसक्रीम खिलाने के लिए। दादू, दादी मैं बाजार जा रहा हूं और दौड़कर मनोज की गोद में आकर बाहों में भर लिया। मनोज ने कसकर गले लगा लिया।

मोनु बोला परी पिज्जा खाने नहीं जायेगी। जाएगी पर थोड़े दिनो के बाद जब उसके दाँत आ जायेगे। पापा फिर उसके लिए सेरेलेक खाने के लिए लायेंगे हम।और एक गुड़िया भी मेरी सामान नहीं माँगेगी। सब हँसने लगे ।

छोटे बच्चों का मन बहुत नाज़ुक होता है उन पर छोटी-छोटी बातें असर करती हैं इसलिए माता-पिता और बड़ों को चाहिए कि बच्चों की मन की भावनाओं को समझें।



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