दीपू

दीपू

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चार साल का दीपू स्कूल से आते ही अपनी मम्मा से कहता है - मम्मा, आपको मालूम है, वो पिंकी है ना, उछके चाचू की कल छादी होने वाली है। अच्छा.. ये तो बहुत अच्छी बात है लेकिन तुम्हें कैसे मालूम ? पिंकी ने बताया, वो है ना, तो कल स्कूल नहीं आएगी। मम्मा, मेलो को बताओ ना आपकी छादी कभी होगी? हँसते हुए राधिका उसे गोदी में लेकर प्यार करती है और फिर प्यार करते-करते ही कहती है - ओ मेरा बच्चा, मेरी शादी तो हो गई। 

मम्मा, कभी हुई? बहुत पहले।

मैंने तो नहीं देखा, मैं किधल था मम्मा ? 

तू नानी के घर था।

तो मेलो को छोलके छादी कल लिया और दीपू कुछ सोच में पड़ गया, उसकी डबडबाई आँखों में दुख तथा चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी। कपड़े वगैरह चेंज कराके राधिका खाना खिलाने लगी तो फिर बोला - मेलो को नानी के घल में क्यों छोल के आए ?

तू छोटा था इसलिए।

कितना छोटा था ?

बहुत छोटा था।

किसके जितना? अब राधिका उसके सवालों से परेशान हो गई और दीपू को गुस्से में डांट दिया - पहले चुपचाप खाना खाओ फिर निनी भी करना है फिर शाम को पापा के घुमी-घुमी भी जाना है ना ।

यह सुनकर तो दीपू एकदम खुश, बाकी सब भूल गया, छची मम्मा ? 

हां, चलो अब निनी करते हैं।

क्लो वाला स्टोली सुनानो ना।

ओके, सुनाने लगती है, सुनते-सुनते आँखें बंद कर लेता है पर उसे नींद नहीं आती, स्टोरी खत्म होते ही वही सवाल दोहराता है तो राधिका जवाब न देकर डांटती है ठीक है, मैं पापा को बोल दूंगी - दीपू मम्मा की बात नहीं सुनता, घुमी-गुमी नहीं जाना।

डर के मारे आँखें बंद तो कर लेता है लेकिन आँखों में नींद कहां....उसके दिलो-दिमाग में एक ही बात घुमड़ रही थी कि मम्मा ने अपनी शादी में उसे नानी के घर क्यों छोड़ा था। बेचारा बच्चा सो नहीं पाया। 

शाम को पापा आए तो गले में बाहें डालकर झूलते हुए पापा से भी वही सवाल लेकिन थोड़ा बदल गया था...पूछता है - पापा आपकी छादी कभी होगी ? सुधीर हैरान कि आज ये कैसा सवाल...लेकिन फिर हँसते -हँसते कहता है, पापा की शादी तो हो गई। सुनकर उसे रोना आ गया इसलिए कि पापा भी उसे अपनी शादी में नहीं ले गए इसका बहुत मलाल था उसे। चुपचाप अंदर जाकर लेट गया... चाय नाश्ते के बाद सुधीर अंदर गया तो देखा दीपू लेटे-लेटे रो रहा है सुधीर एकदम परेशान..राधिका को आवाज़ देकर दीपू को गोद में लिया और प्यार से पुचकारते हुए बोला - ओले -ओले मेला बच्चा...क्या हो गया ? इतने में राधिका भी अंदर आ गई - हां , वाट हेपंड ?

ये दीपू को क्या हो गया, ऐसे तो कभी नहीं रोता और हां, शादी का क्या माजरा है ? तबसे अपसेट है ? 

हां, स्कूल से आया तब से, सारा माजरा बयान कर दिया। अरे यार, तू तो पढ़ी लिखी है पर इतनी भी चाइल्ड सायकोलॉजी नहीं समझती...सही - सही बोल के सब समझा देती, उसकी क्यूरेसिटी शांत हो जाती लेकिन तुम भी ना ..खैर। ओके माय चाइल्ड...लिसिन - तेरी मम्मा की और मेरी शादी साथ में हुई थी, शादी के बाद आपको मैं और मम्मा हाॅस्पिटल से लेकर आए थे तब आप बहुत ही छोटे बेबी थे आपको बोलना भी नहीं आता था, चलना भी नहीं आता था। 

होछपीतल छे क्यूं पापा ?

बेटू, छोटे बच्चे हैं ना...हाॅस्पिटल में होते हैं।

कैछे पापा ?

आज आपको घुमी-घुमी जाना है ना, हम आपको हाॅस्पिटल लेकर चलेंगे तब देखना वहां पर।

छोप में गुलिया मिलती है ऐछे ?

 हां ऐसे, नाउ...गॅट रेडी ।

उत्साह में भरा हुआ - मम्मा दल्दी तलो। वहां जाकर सच में उसे चार न्यूबोर्न बेबी दिखाई देते हैं, बहुत खुश होता है एक बच्चा घर लेकर चलने की ज़िद करता है इतने में राउंड पर गाइनेकोलॉजिस्ट आती है सारा माजरा समझकर दीपू को समझाने की कोशिश करती है। ये सारे बेबी इन अंकल और आंटियों ने ले लिए हैं इसलिए ये अब इनके बेबी है जैसे तुम शाॉप से टाॅय लेकर आते हो तो वो टाॅय किसी को नहीं देते ना... वो टाॅय तुम्हारा होता है ना ? दीपू हां में सिर तो हिलाता लेकिन अब तक चेहरे पर असमंजस के भाव थे उसका समाधान नहीं हो रहा था तो डॉक्टर समझ रही थी उसने ने कहा आप बाजार से स्टोरी बुक लाते हैं ,आपके पास है ?

घर पे है।

अपनी बुक मुझ को दोगे ? 

नहीं...मेरी स्टोरी बुत है।

हां राजा बेटा...अपनी बुक, अपना टाॅय किसी को नहीं देते ना?

दीपू फिर हां में गर्दन हिलाता है, डाॅक्टर उसे गोदी में लेकर बड़े प्यार से कहती है, अब है ना दूसरे बेबी आएंगे ना तब आप आना, हम आपको देंगे, ओके बच्चा। आश्चर्य में डूबा सिर्फ हां में गर्दन हिलाता है और डाॅक्टर भी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए दूसरे वार्ड में चली जाती है। दीपू का समाधान तो हो जाता है लेकिन न्यू बेबी न मिलने का ग़म भी था पर बाद में मिलने वाला है इसकी खुशी भी थी...

अब दूसरा घुमी-गुमी चलते हैं और दीपू को गोदी में लेता है ...वो भी नये बेबी के मिलने की खुशी और उम्मीद में पापा के गले में बाहें डालकर उन्हें कसके पकड़ लेता है। 

                                        


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