धुंध

धुंध

6 mins
455


धुंध....


यूविका खुशमिजाज थी ,जहाँ जाती रौनक कर देती थी । सब उसको पसंद करते । ससुराल ,मायके मे भी उसकी तारीफें होती थीं। वो ज्यादा किसी के काम मे दखल अंदाजी नही करती वर्तमान मे जीती थी ,पति का पूरा सहयोग था ।


घर सजाने का बहुत शौक था। जब भी कुछ अच्छा देखती तारीफ किये बिना नही रहती। खुशमिजाज ,जिन्दादिल कहा जा सकता है । उसकी देवरानी दिया थी ।जबकी  दिया उसकी आदत के बिल्कुल विपरित , किसी के घर जाती तो एक नजर घर कि हर चीज पर घुमाती और अगर यूविका कप या पर्दे या घर के किसी चीज कि तारीफ करती तो दिया चुप रहती और कहती हाँ देखे है बहुत ऐसे।तारीफ शब्द उसके शब्द कोश था ही नहीं ।


दोनो की शादी मे एक साल का अंतर था। दोनो ससुराल से दूर रहतीं ,त्यौहारो पर आना जाना लगा होता ।दिया ससुराल आती तब पर झूठी बातों को भी बढ़ा चढ़ा कर बताती। यूविका की हर बात को नकार देती अपनी बात ऊपर रखती।

यूविका उसकी आदत से जानती थी चुप रहती। एक दिन दिया और उसके पति रोहन का मन हुआ चलो भैया के घर हो आयेंं बहुत बार कहते हैं कि आते नहीं । 

युविका ,दीया के आने की खुशी मे ना जाने कितना नाश्ता, खाना बनाया । दिया ,युविका का घर देखती रह गयी ।उसके घर एक एक चीज देखने लायक थी ।   रोहन से बोली दीदी ने कभी बताया नही कि उनके पास एयरफ्रायर , काफी मेकर , सोफा  इतना बड़ा टीवी,  नौकर चाकर भी हैं। यूविका और उसके पति ने सारा शहर घुमाया और उपहार देकर विदा किया।


दिया मन ही मन हीरस (जलन ) करने लगी । ईष्या की धुंध आँखो पर आने लगी ।दीदी के क्या ठाठ है ?मै उनसे क्या कम हूं ? दिया अब जब भी बाजार जाती दुनिया भर का सामान घर ले लाती ।


युविका दीदी के पर्दे भी कितने सुन्दर थे, हमारे घर मे उससे भी अच्छे होने चाहिए। मन में हिरस( ईष्या ) बढ़ती जा रही थी ।वो अपनी जिठानी से कम नहीं रहना चाहती थी । जब भी कुछ खरिदती उसका फोटो फेसबुक ,जैसे सोशल मिडिया पर डालती । घर का सामान उधार ले आती कि अगले महीने दे देगें । जो धुंध आँखों पर चढी थी उसमे केवल यूविका के घर की बराबरी हम किसी से कम नहीं का चश्मा पहन लिया था कुछ दिखाई नहीं दे रहा था सिवाय जलन के । 


रोहन  बहुत समझाता ,इतना खर्चा ठीक नहीं । भैय्या पहले से नौकरी करते थे ज्यादा सेविंग थी, इसलिये सब है ।हमारा भी हो जायेगा कछ दिनों की बात है,पर दिया तो समझना ही नहीं चाहती थी।


दिया और रोहन मे झगडे़ बढ़ने लगे । दिया को लगता रोहन कुछ ना कुछ सरप्राइज दे । पर रोहन प्यार बहुत करता था ,समय समय पर सरप्राइज करता रहता पर  दिया को सब कम ही लगता ।उससे कहता जल्दी जल्दी कैसे उपहार दे सकता हूँ ?घर के खर्चे हैं ,ये सब पिक्चर में ही हो सकता है आम जिन्दगी मे नहीं । दूसरे की दुनिया मे जीने वाली दिया ने अपनी हँसती खेलती दुनियाँ मे कड़वाहट ला दी थी। खर्चे बढ़ने की वजह से उधार हो गया था । 


बैकं के नोटिस आने लगे कर्जा उतरने का नाम ही नही ले रहा था। उधार होने की वजह से उसका पति डिपरेशन मे जाने लगा , कैसे कर्जा उतरेगा ? बी.पी. रहने लगा । बीमारी ऊपर से कर्जा ,हालात बिगड़ने लगे । ससुराल से सब आये ।सबको चिंता थी । 


 तबियत खराब की खबर यूविका को ससुराल से पता चली । युविका उसके पति दोनो मिलने आये । गुस्से मे भाई ने भाई को सब हाल बताया कि क्यूं बिमारी बढ़ गयी। यूविका ने दिया को समझाया पर दिया तो अपने को सही बताती रही और हालात खराब का जिम्मेदार खुद रोहन को बताया। अपनी कमियों को नजरअंदाज करती रही ।


झगड़ा खत्म नहीं हो रहा था । आखिर दिया गुस्से मे मायके चली गयी । रोहन को भी मनाने कि जरूरत नहीं लग रही थी । वो सारा दोष दिया को दे रहा था ।


दिया को थोड़े दिन मायके मे बहुत अच्छा लगा। थोडे़ दिन बाद नौकरी भी शुरू की। अब सब टोकने लगे ,मायके क्यूँ रह रही है ? शादी कर दो ।जब ससुराल नही जाना तो... मायके वालो ने लड़के देखने शुरू कर दिये । पर कोई कुंवारा लड़का शादी करने को तैयार नहीं था । या तो बड़ी उम्र के लड़के मिल रहे थे या तलाकशुदा जिनके बच्चे भी थे ।


रोहन को तलाक का नोटिस भी आ गया । रोहन के हस्ताक्षर नहीं दिये थे ।क्या पता दिया लौट कर आ जाए ।रोहन को भी को घर मे अकेला लगने लगा । पर उसे डर था कि दुसरी लड़की भी ना जाने कैसी होगी । दिया के मायके वालो ने भी दिया को समझाना शुरू कर दिया कि अब रिश्ते ऐसे ही मिलेगें। अब दिया पर दिखावे का चश्मा उतर चुका था ।धुंध छटने लगी थी ।रोहन सबसे ज्यादा समझदार लग रहा था और खुद की कमियाँ दिखने लगी थी की यूविका जैसी समझदार से जलन कर बैठी । और रोहन को कर्जे तक ला कर खड़ा कर दिया ,कैसी पत्नी हूँ मैं ! अपने ही घर को कर्जे मे डुबा दिया।


रोहन दिया को प्यार करता था ये देखकर कि वो कितना परेशान भी है दिया के जाने से ।यूविका ने पति के साथ मिलकर दोनो को मिलाने की योजना बनाई ।


एक दिन युविका और उसके पति दिया से मिलने आये और बताया रोहन कितना याद करता है। बात को खत्म करना चाहता है। दिया खूब रोने लगी वो मान गयी की उसकी ईष्या अहम ने दिलों मे दूरी पैदा कर दी। दोनों के पैर छू कर माफी माँगी । भैय्या, आज अहम का पर्दा ,जलन की धूंध हट गयी है । बस अब गलती का अहसास हो गया था तो पहल करने की हिम्मत नहीं थी । आप दोनों की वजह से अब मै रोहन से भी माफी माँगने को तैयार हूँ ।

यही बात रोहन को जा कर समझायी कि दिया याद करती है बहुत कुछ कहना चाहती है । दोनों को अब अलग रहने का पछतावा होने लगा था। यूविका और उसके पति का प्लान कामयाब दिखने कि एक उम्मीद नजर आई ।

दिया को अब रोहन कि सब बातेंं सही लग रही थीं ,अब कोई कमी भी नही दिखाई दे रही थी।

युविका और उसके पति ने दोनों को मिलवाया। पुरानी बातें भूल कर आगे बढ़ने को कहा ।कुछ रूपये भी दिये जिससे कुछ कर्जा उतर सका ।

अब दिया को अपनी करनी का अफसोस था।...दिया ने सबसे माफी माँगी उसे बराबरी करने की हिरस ने ईष्या को जन्म दिया। वो पहले की तरह दिया बनना चाहती थी ।

दोनों ने साथ रखने का फैसला किया।


दिया को दूसरों के बराबरी करने की हिरस ने क्या हालात दिखा दिये ।दिया के गुस्से और ना समझी ने दिलों मे दूरी ला दी थी ।पर अब यूविका की बातें समझ आ रही थीं कि हम जैसै हैं वैसे ही रहना चाहिये ।दूसरों से जलन अपने घर को भी उजाड़ देती है ।जितनी चादर हो उतने पैर पसारने चाहिये।


ईष्या सबसे बड़ी दुश्मन है ,जो अपना घर बरबाद कर देती है और मन भी  बैचेन रहता है। आप जैसे है वैसै ही रहें ।आजकल सोशल मिडिया दिखावा करते हैं ,घर पर जैसे भी हो पर दूसरों को कम नही दिखाते।


अपनो के साथ खुश रहें ना कि दूसरों को देख कर दुखी।आज यूविका और उसके पति ने घर उजड़ने से बचा लिया दिया और रोहन का । पर कुछ ऐसे भी होते हैं जो रिश्तो को मिर्चमसाला लगाकर घर टूटने कि वजह भी बनते हैं 


घर आपका है उसकी नीवं को प्यार से विश्वास और समझदारी से चलाया जाता है, ईष्या से नहीं । रोहन से दिया ने कहा "मुझे माफ कर दो रोहन सब मेरी गलतियों से हुआ ।"

रोहन ने कहा ,"तुम्हें अपनी गलती का पछतावा है बस इतना काफी है हमारे परिवार के लिए "।गले लगाते हुए दिया को कहा ..

कहते हैं दिया सुबह का भूला घर शाम को वापस आये तो उसे भूला नहीं कहते हैं।


Rate this content
Log in