डे 32 : आज़ाद परिंदे
डे 32 : आज़ाद परिंदे


डिअर डायरी,
डे 32 : आज़ाद परिंदे :25.04.2020
आज सरकार ने कुछ रियायतें दी हैं जिसके अंतर्गत एहतियात और संयम एवं सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कुछ और दुकानों को खोलने की इजाज़त दी गयी है ।इसके परिणामस्वरूप वो दुकाने जो गलियों में हैं , जिनसे एक ख़ास इलाका प्रभावित नहीं है , उनको खोला जा सकेगा । ऐसे इलाके जहाँ से कुछ भी केस रिपोर्ट नहीं हुआ , जो ग्रीन जोन में हैं ; वहां पर भी जन जीवन सामान्य रहेगा ।
ऑंखें बंद करिये और महसूस कीजिये इस आज़ादी को । ऐसा लग रहा है जैसे "मोहब्बतें " मूवी में उन तीन लड़कों के लिए वो बड़ा सा चैनल गेट खुला था , हमारे लिए भी सरकार वही सुविधा लेकर आ रही है । और फिर दौड़कर वो तीनो लड़के उस गेट की चैन को तोड़ देते हैं , उतनी ही ख़ुशी महसूस हो रही है इस वक्त । कुछ लोगों का मन
तो ये भी कर रहा होगा कि जा कर पी . एम् . मोदी के गालों को चूम कर कहें ,"थैंक यू , मोटा भाई ! " ख़ुशी से चरम होता है उत्कर्ष : बस वही 'उत्कर्ष ' है मन में ।
फिर आगे की मोहब्बतें मूवी किसने देखी है ? वो जब अमिताभ बच्चन सर कहते हैं कि रात को 9 बजे के बाद आप इस विद्यापीठ में नहीं आ सकेंगे....हाहा । आप समझ तो गए होंगे कि आज़ादी है तो नियंत्रण भी रखना होगा । और आपका सामना किसी पुलिस अफसर से हो रहा होगा जो आपको नियम बता रहे होंगे......बहुत मज़ेदार है ज़िन्दगी , अगर नजरिया 'पॉजिटिव ' हो । मर भी रहे हो तब भी मुस्कुराकर कहो कि मैं साथ ही हूँ । ये होना चाहिए जज़्बा ।
फ़िलहाल आज़ादी मिल रही है , हमारे कर्मवीर मुस्कुराते हुए उस गेट पर खड़े हैं जिसको छलाँगे लगाकर आप पार करने वाले हो ।
गुड लक टू यू ऑल।
टेक केयर ।