Kameshwari Karri

Others

4.0  

Kameshwari Karri

Others

दादी का अनोखा प्यार

दादी का अनोखा प्यार

3 mins
335


फ़ोन की घंटी बज रही थी। वहीं पर बैठकर काम कर रहे रेवंत ने फ़ोन उठाने की तकलीफ़ भी नहीं की। उसे मालूम था कि आँचल आकर उठा लेगी। रेवंत की यही आदत आँचल को पसंद नहीं है कि ऑफिस के काम के सिवा दूसरे कोई भी काम मन से नहीं करता है। कोशिश यही रहती है कि आँचल कर दे तो बेहतर है !!ख़ैर .... प्यार करके शादी की है, वह भी घर वालों से लड़ झगड़कर भुगतना तो पड़ेगा ही। रेवंत और आँचल की दो महीने पहले ही शादी हुई थी। इन दो महीनों में ही उसने रेवंत के रग -रग को पहचान लिया था। 

आँचल ने जैसे ही फ़ोन उठाया दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई अरे ! गुल्लू नालायक, निकम्मा, बेशरम फ़ोन उठाने में इतनी देर कर दी है क्या कर रहा है ? आँचल को हँसी आ गई ....गुल्लू आपका फ़ोन !!!सुनते ही रेवंत ने कहा -मैं बिजी हूँ अभी बात नहीं कर सकता बोल दो। उसे मालूम था दादी का फ़ोन है उसे उन पर ग़ुस्सा आ रहा था देखो तो मेरी नई नवेली बीबी के सामने इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा दी और देखो आँचल कैसे हँस रही है ? 

आँचल भाग कर कमरे में चली गई। फ़ोन रखकर जब वह कमरे में पहुँचा तो आँचल ज़ोर ज़ोर से हँस रही थी गुल्लू हो हो हो ....

रेवंत को देख कर अपनी हँसी रोकने लगी। एक बार को रेवंत को भी हँसी आ गई। दादी बचपन से ही ऐसी है। हमेशा गालियाँ देते हुए ही बातें करती हैं। लोग उनसे बात करने के लिए डरते थे क्योंकि वे बातें कम और गालियाँ ज़्यादा देती थीं। पति के मरने के बाद अपने बेटे को और खेतीबाड़ी को उन्होंने अकेले ही सँभाला था। बेटे ने इंजीनियरिंग की। पढ़ाई के बाद शहर में ही एक अच्छे कंपनी में नौकरी करने लगा दादी ने ही बहू को चुना वह बहुत ख़ूबसूरत और संस्कारी थी। बेटा बहू दोनों शहर में ही रहते थे। दादी कभी-कभी शहर जाती थी पर मन न लगने के कारण दो दिन में ही वापस आ जाती थी। एकबार बेटा बहू शहर से गाँव आ रहे थे और उनका बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है। दोनों की मृत्यु वहीं हो जाती है और रेवंत बच जाता है। दादी ने ही उसे भी पाल पोसकर बड़ा किया था। दादी रेवंत पर किसी की नज़र भी नहीं पड़ने देती। उनकी आँखें रेवंत के आसपास ही घूमती रहती थी थीं। टीचर्स या बच्चे कोई भी रेवंत को कुछ कहने से पहले दस बार सोचते थे। किसी की मजाल की रेवंत को कोई कुछ कहते। दादी रेवंत को प्यार से गुल्लू कहकर पुकारती थी। रेवंत की पसंद की लड़की से ही दादी ने उसके ऊपर अपने प्यार के कारण किया था। आँचल को नहीं मालूम था कि दादी रेवंत को गुल्लू कहकर बुलाती हैं। इसलिए गुल्लू नाम सुनते ही उसे हँसी आ गई थी। पिछले महीने की ही बात है कि दादी बीमार हो गई थी। रेवंत दादी से बहुत प्यार करता था इसीलिए भागते हुए गया दादी को देखने। अस्पताल में दादी को बिस्तर पर पड़ा देख उसकी तो जान ही निकल गई थी। उसने जितने भी भगवान हैं, सबसे दादी की सलामती की भीख माँग ली। उसने सोचा अब तो दादी गई ....फिर कभी उन्हें देख नहीं पाऊँगा। इसलिए उसने बहुत सारी मन्नतें दादी के लिए माँग लिए। थोड़े दिन अस्पताल में रहने के बाद दादी सही सलामत वापस घर आ गई। आज का फ़ोन यही था। नालायक, निकम्मा, कामचोर उनके मुँह से हमेशा निकलने वाली गालियाँ थी। अब रेवंत सोचता है .....मैंने बहुत दिल से भगवान से मन्नतें माँग ली हैं शायद........



Rate this content
Log in