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Divyanjli Verma

Children Stories

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Divyanjli Verma

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चींटियों का नया घर

चींटियों का नया घर

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 एक जंगल मे चींटियों का परिवार रहता था। उस परिवार में 2000 चीटियां थी। सब आपस मे मिल जुल कर प्यार से रहती थी । उनकी एक रानी चींटी थी। जो बहुत ही अच्छी और दयालु थी। वो चीटियां एक बड़े से पेड़ में बिल बना के रहती थी। वो पेड़ बहुत ही सुंदर और मिठे फल वाला पेड़ था।  जिससे खाने के लिए चींटियों को कही और जाना भी नही पड़ता था। वो उसी पेड़ में रहती थी और जब भूख लगती तो उसी पेड़ का फल खा लेती थी। 

 इस तरह उनकी जिंदगी खुशी खुशी बीत रही थी। 


लेकिन एक दिन अचानक चींटियों पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। जिस बड़े वाले सुंदर पेड़ में वो अब तक रहती थी । कल रात की आंधी में वो पेड़ टूट के गिर गया। और चींटियों का आधा घर भी टूट गया। उन चींटियों ने किसी तरह वही रात बिताई, क्योकि बारिश बहुत तेज थी। और वो कही जा नही सकती थी। अगर वो तेज बारिश में कही जाने की कोशिश करती तो या तो वो हवा के तेज बहाव से उड़ के अपने परिवार से अलग हो जाती या फिर पानी के बहाव से नदी में चली जाती जहाँ मछलियां उन्हें खा जाती।   रात भर उन चींटियों ने डट के बारिश का सामना किया। अब सुबह होने वाली थी और बारिश भी धीरे धीरे कम हो रही थी। 


सुबह तक बारिश पूरी तरह से बंद हो गई। तो चीटियां अपने बिल से बाहर आई। बाहर का हाल देख के वो बहुत दुखी हुई। क्योकि चारो तरफ पानी ही पानी भरा था। और वो फल वाला सुंदर पेड़ जिसमे वो चीटियां रहती थी वो भी टूट गया था। 


"अब क्या होगा?" एक चींटी ने कहा। " लगता है हमे कही और जाना पड़ेगा। क्योकि ये वाला पेड़ तो टूट गया है। अब जल्दी ही इसमें दीमक आकर अपना घर बना लेगी।"


"हाँ ,सही कहा तुमने । अगर हम सब यहां से नही गए तो दीमक हमे भी खा जाएगी।" दूसरी चींटी ने कहा।


सारी चींटियों ने मिल के तय किया कि अब वो लोग किसी दूसरे पेड़ में रहेगी। क्योकि ये पेड़ टूट चुका है। कुछ खोजी चींटियों को सैनिक चींटियों के साथ दूसरा अच्छा और मिठे फल वाला पेड़ खोजने के लिए भेजा गया।शाम तक पेड़ मिल चुका था।और मजदूर चींटियों द्वारा नया बिल भी बनाया जा चुका था। अब धीरे धीरे सारी चीटियां अपना बचा कूचा जरूरी समान और खाने पीने की चीजें लेके अपने नए बिल में जा रही थी। 


कुछ मजदूर चीटियां रानी को उठा के लेके जा रही थी। कुछ ने अंडों उठा रखा था। और कुछ चीटियां छोटे बच्चो को ले जा रही थी। नए वाले पेड़ में आकर चीटियां बहुत खुश थी। 

   

एक दिन उन चींटियों में से कुछ चीटियां खाने की तलाश में जा रही थी तो उन्होंने वही पुराना वाला पेड़ देखा, जिसमे बिल बना के वो रहती थी। पेड़ ले नाम पर वहां अब कुछ भी नही था। और न ही वहां कोई दीमक रहने आई थी। उस जगह को देख के लगता था कि अब वहां कोई नही रहता था।


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