चिड़ियों की होली
चिड़ियों की होली
चुनिया, मुनिया चिड़ियों के दो बच्चे थे।
जब इंसानों को रंगों से जमीन पर होली खेलते देखा तो दोनों खुशी से उछल पड़ी।
और अपनी मां से कहा हम भी इंसानों की तरह रंगों से खेलना चाहते हैं लेकिन मां चिड़िया ने हिदायत देते हुए कहा इंसानों के चक्कर में मत पड़ो। उनके अधिकतर कार्य नरक तुल्य होते है। उनका अनुसरण करोगी तो तुम दोनों किसी बड़ी मुसीबत में पड़ सकती हो। लेकिन दोनों बच्चों के कान में तो जैसे रुई ठुसी पड़ी थी। उनकी आंखें तो सिर्फ रंगों से रंगे इंसानों पर टिकी थी। दोनों रंगों से रंगकर रंगबिरंगा दिखने के लिए आतुर हुए जा रही थी।
अतः तुरंत ही जमीन पर आकर दोनों ने रंगों की थाली में फुदककर अपने पंखों को रंगीन बना लिया। अपने रंगीन पंखों को देख खुशीसे झूमने लगी लेकिन उनकी खुशी क्षणिक साबित हुई। क्योंकि उन्हें तीव्र खुजली होने लगी। उड़कर वे घोसले की ओर गई।
उन्हें रंगों से रंगा व छटपटाता देख पहले तो मां चिड़िया गुस्से से तिलमिला उठी लेकिन तुरंत उन्हें छोटे से गड्ढे के पानी में फुदक कर अपने आप को गिला करने के लिए कहा ताकि रंग शरीर से निकल जाए लेकिन एक भी रंग शरीर से नहीं छूटा तब उन्हें फूलों व घास की ओंस पर लोटपोट होने के लिए कहा जिससे उनकी तकलीफ काफी हद तक कम हुई। दोनों ने चिड़िया मां से अपनी गलती के लिए माफी मांगी लेकिन मां तो आखिर मां ही होती है ना। वह उन दोनों की भावनाओं को समझ रही थी अतः उन्हें रंग बिरंगे फूलों की पंखुड़ियां एक दूसरे पर डालकर व फूलों में लोट-पोट करके होली खेलने के लिए कहा। ताकि वे होली का इंसानों जितना ही आनंद ले सके लेकिन साथ ही स्वस्थ भी रहेंI इसके लिए तुरंत ही
चिड़िया मां उड़कर मंदिर से फूलों की एक माला अपनी चोंच में पकड़ कर ले आई। ख़ुशी से फुदकती हुई, कई घंटों तक खेलती चुनिया- मुनिया ने एक साथ कहा मां फूलों के साथ खेलना, इंसानों के रंगों की अपेक्षा कहीं अधिक आनंददायक है।