चेतावनी
चेतावनी
"ऐसा क्या कर दिया जो तू बात का बतंगड़ बना रही है? अच्छे खासे माहौल को बिगाड़ना तो कोई तुम लोगों से सीखे?" "ये बात आप मुझसे नहीं इनसे पूछिए, क्या किया इन्होंने?" "पूछना क्या ? मैं भी यहीं पर हूँ सब दिख रहा है मुझे ...। फिर पार्टी का माहौल है होश नहीं रहता कभी। जीजा है तेरा हँसी- मज़ाक का हक़ तो रखता ही है वो तेरे साथ...।" "बात हँसी- मज़ाक तक नहीं थी इसलिए तो... पर आपको क्या बोलना... ? मुझे तो तरस आ रहा है आप पर और आपकी इस सोच पर... जो औरत हो कर भी...।" "बोल तो रहा है कि थोड़ी ज्यादा हो गयी थी। सॉरी बोला न उसने, ये मत भूल कि तेरी बहन का पति है वो...।" "बहुत अच्छे से जानती हूँ ... ज्यादा क्या सिर्फ मेरे लिए ... । ये कैसा नशा है जो खुद की बहन और दूसरी औरत के फर्क को जानता है। आंटी जी सच को गाँधारी बन कर नहीं एक औरत बन कर स्वीकारो वरना नारी की लाज से खिलवाड़ का फल तो आप जानती ही हो...।