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Vijay Vibhor

Others

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Vijay Vibhor

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बोझ

बोझ

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कॉन्वेंट स्कूल की पहली कक्षा में पढ़ने वाली अपनी पोती के सिलेबस की किताबों की क़ीमत दुकानदार को अदा करने के बाद स्वयं के लिए एक ही साहित्यक पुस्तक ख़रीद पाया था नौकरी से रिटायर्ड किन्तु नवोदित आदर्शवादी लेखक भीमानंद। बाज़ार से आते वक्त रास्ते में स्थित टाउन पार्क पहुँचने पर पोती ने उससे सी-शॉ पर झूलने की इच्छा ज़ाहिर की।

पार्क के अंदर पहुँचकर भीमानंद ने अपनी अनुभवी पारखी नज़रों से सी-शॉ का मुआयना किया तो वह सी-शॉ के ऊपरी हिस्से पर अपनी इकलौती साहित्यिक पुस्तक हाथ में लिए हुए अपने नामानुसार भीमकाय शरीर के बावजूद पोती के हल्के-फुल्के फूल से शरीर के साथ उसके स्कूल की सिलेबस वाली किताबों को हर रूप में अत्यधिक भारी पा रहा था। उन्हें महसूस हुआ आज के बचपन का बोझ उसके बुढ़ापे के बोझ से बहुत ज़्यादा है। लेकिन नंबरों की इस अंधी दौड़ में वह अपने आदर्शों को बचपन की स्वतंत्रता को भौतिकता की पराधीनता स्वीकारने से रोक पाने में असमर्थ पा रहा था।



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