बिरजू और किराए का सेंटा
बिरजू और किराए का सेंटा
बिरजू जो दिनापुर के शहर में रहने वाला लड़का था जिसकी उम्र 12 साल होगी। क्रिसमस आने वाला था लेकिन बिरजू के दोस्त उसका मजाक बनाते थे। क्योंकि उसको लगता था कि सेंटा आयेगे और उसको गिफ्ट लेकर आयेगे लेकिन बिरजू के माता- पिता उसके लिए गिफ्ट रखते थे। उसका सपना था कि वह सेंटा से मिल सके लेकिन सेंटा तो असल ज़िंदगी मे होते ही नहीं। अब उसके माता - पिता उसका दुःख नहीं समझ पा रहे थे क्योंकि अब उसको गिफ्ट नहीं सेंटा चाहिए ।
अब उसके माता पिता ने सोचा क्यों न हम किराए का सेंटा लाया जाए। उसकी माता भाड़े के सेंटा का इंतजाम किया। क्रिसमस की रात को बिरजू के सो जाने के बाद सेंटा आते और बिरजू को जगा कर बोले - "बिरजू उठ तेरा सेंटा आया है तेरे लिए गिफ्ट लाया है।" बिरजू सेंटा को देख कर हैरान हो जाता. गिफ्ट देने की बजाय बिरजू को वह अपने साथ लेकर चला जाता. लगता है सेंटा चोर है , बिरजू के माता पिता ने जो सेंटा भेजा था वह तो आया ही नहीं. लेकिन सेंटा के कपड़े पहन कर चोर आया था। सेंटा चोर बिरजू को बिल्कुल अधेरे वाले कमरे मे ले गया जहां बिरजू डरा डरा महसूस करने लगा। माता - पिता बिरजू को इधर से उधर ढूंढने मे लगे हुए थे बिरजू के कहीं गुमनामी के अंधरे में खो गया था।