बिगबॉस का घर
बिगबॉस का घर


डियर डायरी,
आजकल सभी महिलाओं के दिन बहुत भागदौड़ भरे गुजर रहे होंगे। अरे! सभी के शैतान घर पर जो होंगे। शैतान हा यह भी कह सकते है क्योंकि अपनी शैतानियों से घर सिर पर जो उठा रखते है। पहले ये लोग स्कूल चले जाते थे, कुछ समय शाम को भी बाहर खेल आते थे तो थोड़ा राहत मिल जाती थी बच्चे भी बाहर दोस्तो के साथ खेल कर खुश हो जाते थे, थोड़ी देर ही सही पर शांति से अपने खुद के लिये भी थोड़ा वक्त मिल जाता था। पर ये लॉक डाउन ने हर महिला की शांति छीन ली है। बच्चे भी घर मे बोर ही होते है। टीवी शो की बात करे तो रियलिटी शो बिगबॉस मुझे बहुत पसंद है। जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है तब से ऐसा लगता है कि मैं भी बिग बॉस के घर मे आ गई हूं। इतने सारे लोग, ज्यादा काम, सीमित राशन, ऊपर से घर के बाहर भी जाना मना है। वैसे तो मैं हाउस मैनेजर हूँ।
हा भाई हाउस मैनेजर ही कहलाती हु मैं, अब घर को मैनेज करना भी तो एक जॉब है। फिर भी इस जॉब में अक्सर बाहर जाने को मिल ही जाता था कभी राशन लेने, कभी सब्जी भाजी तो कभी पार्लर। कभी कभी मायके जाने पर जॉब से छुट्टी भी मिल जाती थी। पर जब से मैं बिग बॉस के घर मे आई हूं अरे! मतलब लॉक डाउन हुआ है तो बाहर निकलना भी बंद, मायके नही जा सकते तो छुट्टी भी बंद। कभी थोड़ा बहुत बाहर का काम होता है तो पतिदेव कर आते हैं।
वैसे तो काम का प्रेशर पहले की अपेक्षा ज्यादा है पर फिर भी थकान नही होती क्योंकि इस समय जो कोरोना नामक विपदा आई है इस संकट में कम से कम बच्चे और पति मेरी आंखों के सामने तो है। आज पूरा परिवार एक साथ है।
जो पहले समय की व्यस्तता के कारण नही हो पाता था अब वो बहुत अच्छे से होता है हम साथ मे खाना खाते है, टीवी देखते है और साथ मे ही खेलते भी है। खेल के बीच मे जब पति और बच्चो की अलग अलग फरमाइशें आती है तो भी मन खुशी खुशी करता है जबकि यही काम के लिए पहले मैं झुंझला जाती थी शाम तक थकान के मारे शरीर टूटने लगता था। पर अब जब सबको साथ मे अपनी आँखों के सामने देखती हूं न कोई थकान, न टेंशन। फिर भी चाहती हु की ये कोरोना नाम का संकट जल्दी ही टल जाए क्योंकि परिवार के साथ रहना तो सभी चाहते है लेकिन देश मे किसी संकट के बदले नही। भगवान से प्रार्थना करती हूं कि 21 दिन के भीतर ही हम इस संकट से उबर जाए।