कुमार संदीप

Others

5.0  

कुमार संदीप

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भूख

भूख

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छोटू एक निर्धन और मानसिक रुप से अस्वस्थ बच्चा था।माता-पिता की अकाल मृत्यु हो जाने से वह अकेला हो गया।दिन भर गाँव में किसी से भीक्षा माँग खाता।जहाँ जाता वहाँ उसे सभी लोग हेय दृष्टि से देखते और मारने को दौड़ते।तीन दिन से भूखे छोटू आज गणतंत्र दिवस में हो रहे समारोह में पहुँचा।सभी नेतागण,अभिभावक, महँगे कपड़ों और पहनकर अपने-अपने स्थान पर विराजमान थे।छोटू वहीं जमीन पर बैठा सबों को निहार रहा था।मिठाई के डब्बों पर वह टकटकी लगाए बैठे था। समारोह में नेता जी देशहित और संविधान के विषय में लंबे-लंबे भाषण दे रहे थे।भाषण समाप्त हुई तब सभी नेतागण और अभिभावकों को नाश्ता दिया गया।वहीं इस मानसिकरूप से अस्वस्थ बालक पर कोई ध्यान भी नहीं दे रहा था चूँकी वह मँहगे कपड़े न पहना था और न ही उस सभा में बैठने के लायक था।सभी गणमान्य लोगों को उचित सेवा सत्कार मिला ।छोटू की टकटकी निगाहें लगी रही पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं था।अंततः छोटू से रहा न गया और उसने महँगें वस्त्र पहने नेता जी के नाश्ते पर हाथ लगा दिया,नाश्ते के डब्बे से एक मिठाई गिर गया और नेता जी के कपड़े पर लगा नेता जी के गुस्सा का ठिकाना न रहा।क्रोधित होकर नेता जी ने खुद पहले एक तमाचा बालक को लगा दिया उसके बाद उस बालक को वहाँ से बाहर करवा दिया।



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