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Gita Parihar

Children Stories

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Gita Parihar

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भारत के पर्व

भारत के पर्व

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"आ गए बच्चो,तो जैसा की मैने कल कहा था आज हम दशहरा क्यों और किस भांति मनाया जाता है, उस विषय में चर्चा करेंगे।हम सभी जानते हैं कि दशहरा दीपावली के 20 दिन पूर्व पड़ता है।

इसे आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने असुर राज रावण का वध किया था।वध के पीछे की यह कथा है कि लंका नरेश रावण ने अपनी बहन सूर्पनखा के अपमान का प्रतिकार लेने के लिए श्री राम की पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था। तब से जिस दिन श्री राम ने रावण का वध किया,उसी दिन से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा है।" 

"चाचाजी,आजकल लोगों में होड़ सी मची है यह साबित करने की कि रावण बहुत विद्वान था।सत्य क्या है,कृपया बताएं।"मुक्ति ने पूछा।

" बच्चों,दशानन के दस सिर दए सिर दस पापों के प्रतीक थे-काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर ,अहंकार ,आलस्य ,हिंसा और चोरी।मुक्ति,रावण विद्वान था किन्तु उसके इन दुर्गुणों ने उसकी अच्छाईयों पर ग्रहण लगा दिया। दशहरा का शाब्दिक अर्थ है- दश ..हर अर्थात 10 बुराइयों से मुक्ति।"

"चाचाजी,दशहरे को अन्य किं नामों से जाना जाता है?" सुमित ने पूछा।

"सुमित,दशहरे को विजयदशमी भी कहा जाता है।यह शारदीय नवरात्रि में शक्ति के नौ रूपों की उपासना का पर्व है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और चंड- मुंड राक्षसों का वध किया था। जिसके कारण विजयदशमी शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दोनों ही रूपों में यह विजय पर्व या शक्ति पूजा का पर्व है। क्षत्रियों के यहां इस दिन शस्त्र की पूजा की जाती है।"

"चाचू,मेरी दादी कहती हैं इस दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है।"इला ने कहा।

"हां, ऐसी मान्यता है।कुछ जगह गांव के लोग जौ के अंकुर अपनी टोपियों और कानों में लगाना शुभ मानते हैं। विजयदशमी मन में नई सात्विक ऊर्जा का संचार करती है। इस दिन मेले लगते हैं, जगमगाती रोशन के बीच रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं।इसे भारत के हर हिस्से में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है।"

"चाचाजी, टी वी पर हिमाचल प्रदेश के दशहरे कि झलक देखी।वहां का दशहरा हमारे यहां से एकदम भिन्न है।"राजू ने कहा।

" यह सच है, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा अनोखे ढंग से मनाया जाता है।आश्विन महीने की दसवीं तिथि को इसका प्रारंभ होता है।महीने के पहले 15 दिनों में राजा सभी देवताओं को धालपुर घाटी में रघुनाथ जी के सम्मान में यज्ञ का न्योता देते हैं।100 से अधिक देवी- देवताओं को रघुनाथ जी सीता जी और हिडिंबा जी को सजी पालकी में बैठाया जाता है और रथ यात्रा प्रारंभ होती है।इन रथों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है।छठे दिन सभी देवता इकट्ठे आकर मिलते हैं,जिसे मोहल्ला कहते हैं।इस दिन रात भर नाच- गान होता है।सातवें दिन रथ को व्यास नदी के किनारे ले जाया जाता है, जहां लंका दहन का आयोजन होता है। इसके पश्चात रथ पुनः रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया जाता है।"

 "चाचाजी,कहां दशहरे में एक लाख बल्ब जलाए जाते हैं?"नहर ने जानना चाहा।

" मैसूर का दशहरा 10 दिन चलता है। मैसूर के राज महल को 1 लाख बल्ब की रोशनी से सजाया जाता है। सोने- चांदी से सजे हाथियों को इक्कीस तोपों की सलामी के बाद राज महल से जुलूस के रूप में निकाला जाता है।अगुवाई कर रहे हाथी के ऊपर 750 किलोग्राम के शुद्ध सोने के सिंहासन पर मां चामुंडेश्वरी देवी की मूर्ति रखी होती है।पहले इस सिंहासन पर राजा बैठते थे।राजाशाही समाप्त होने के बाद माता की मूर्ति को विराजित किया जाता है।यह जुलूस 6 किलोमीटर दूर बन्नी मंडप में खत्म होता है ।

मिथिला और बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। स्त्रियां मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाती हैं और सिंदूर से खेलती हैं।

राजस्थान में इसे शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में विश्व का सबसे लंबी अवधि का दशहरा मनाया जाता है।यह एकमात्र जगह है जहां दशहरे पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता। यहां दशहरा 75 दिन तक मनाया जाता है। इसे 600 वर्षों से मनाया जा रहा है।यह मां दंतेश्वरी की आराधना से जुड़ा है।

 समस्त भारत में दशहरा में पारंपरिक रूप से 9 दिन का उपवास रखकर मां के नौ अलग-अलग अवतारों की पूजा और जागरण करते हैं।

 गुजरात में नवरात्रि में लोकनृत्य गरबा करते हैं।

 महाराष्ट्र में दशहरा विद्या आरंभ ,विवाह ,गृह प्रवेश और नए घर क्रय करने के लिए भी शुभ माना जाता है।

 तमिलनाडु में मां दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी पूजन किया जाता है तथा मित्रों और रिश्तेदारों को बधाइयां और उपहार दिए जाते हैं। यहां गोलू अर्थात पीढ़ी दर पीढ़ी से मिली गुड़ियों को सीढ़ियों में सजाया जाता है।

भारत ही नहीं मलेशिया, बांग्लादेश और नेपाल में भी दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।"

वाह,वाह कितनी अद्भुत जानकारी हासिल हुई !अब तो मैं घर जाकर सबको बताऊंगी की हमारे चाचाजी कितनी ज्ञानी हैं!"जतिन ने गर्व से कहा।

"अरे बेटा,ज्ञानी - व्यानी कुछ नहीं ,वह तो पढ़ता रहता हूं,तो जानकारी मिलती रहती है।अच्छा तो कल मिलते हैं।"

"चाचाजी,क्यों न किसी दिन आप हमें किसी दर्शनीय स्थल लेे चलें और वहीं उसकी विस्तृत जानकारी भी मिल जाए?"

"बहुत अच्छा सुझाव है,शीघ्र ही योजना बनता हूं।तब तक के लिए शुभ रात्रि।"

"शुभ रात्रि चाचाजी।"



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