Devaram Bishnoi

Children Stories

3.5  

Devaram Bishnoi

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बच्चों की पाठशाला

बच्चों की पाठशाला

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हमारे गांव में छोटे बच्चों को पाठशाला में 

गुरूजी अ आ इ ई पढ़ा रहे थे।

अचानक पहाड़ी इलाकों से एक‌ तेंदुआ चीता 

पाठशाला में आ धमकता हैं।

छोटे ‌बच्चे तो तेेंदुआ से ज्यादा नहीं डरे।

परन्तु गुरूजी को पसीना छूट रहा था।

बच्चों को कैसे बचाएं खुद निहत्थे कैसे बचें।

गुरूजी को कुछ नहीं सूझा तो पाठशाला में पड़े।

बच्चों के खिलोंने से भरे लोहे‌ के बक्से वाली

अलमारी को धक्का देकर तेंदुआ पर डाल दिया।

यह सब इतना अचानक जल्दी हुआ।

कि तेेेेंदुआ कुछ सम्भल पाता‌।

तब तक कि भारी‌ भरकम ‌बक्से के नीचे दब गया।

गुरूजी ने सूझबूझ दिखाई।

और सभी बच्चों को रूम से बाहर निकाल

 रूम का दरवाजा बंद कर दिया।

फिर सभी गांव वालों को पाठशाला में तेंदुए के

घुसने कि ख़बर बच्चों को गांव में भेज पहुंचाई।‌

सभी गांव वालों नेआकर गुरूजी को धन्यवाद दिया।

और वन विभाग के दस्ते को फोन करके बुलाया।

वन विभाग केअधिकारियों ने तेेंदुएं को पिंजरे में कैद 

कर वापिस जंगल में छोड़ा।

वन विभाग के अधिकारियों ने भी गुरूजी कि 

सुझबुझ कि भुरीभुरी प्रशंसा कि एवं धन्यवाद दिया।



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