बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
1.
कालोनी के दो बच्चों में खेल-खेल में किसी बात पर लड़ाई हो गई। बात उनकी मम्मियों तक गयी। इसके बाद उन दो घरों के बीच खूब कहासुनी हुई । परिणाम ये रहा कि उन घरों के बीच हमेशा के लिए बातचीत बंद हो गई।
और वे बच्चे एक दिन बाद ही सबकी नज़रों से दूर एक खाली से पड़े खंडहर में धूल से लिपटे-पुते हुये कंचे खेल रहे हैं...
2.
मोहल्ले की दो आंटियों के बीच बातें हो रही हैं। पहली आंटी - हमारा चिंटू आज मैथ्स के क्लास टेस्ट में फ़र्स्ट आया है । आपके रिंकू का क्या रहा (जबकि चिंटू ने पहले ही बता रखा कि वो आज फ़ेल हो गया है )। दूसरी आंटी (जिनका चेहरा थोड़ा उतर गया है)- रिंकू पढ़ने में तो अच्छा है, कह रहा था पेपर टफ़ था। इसीलिए फ़ेल हो गया। जरूर चिंटू ने नकल की होगी। पहली आंटी – ऐसा थोड़े होता है। चीटिंग करके कोई पास हो सकता है, फ़र्स्ट नहीं आ सकता। कल देखिएगा साइंस के पेपर में भी फ़र्स्ट आएगा और इस तरह की कुछ और बातें उनके बीच हुई।
घर आकर पहली आंटी – चिंटू, कल से रिंकू के साथ नहीं बैठना है। ठीक लोग नहीं है वो। चिंटू – अच्छा मम्मी।
अगले दिन स्कूल मे चिंटू न्यूटन के थर्ड लॉ से लेकर आर्किमिडीज़ के सिद्धांत तक सबकुछ रिंकू को नकल करा रहा था।
