शब्दों का कुम्हार, जो बनाने की कोशिश में है-कुल्हड़ जैसी कुछ कहानियां,सुराही जैसी कुछ कविताएं और दीये जैसे कुछ संस्मरण। बस इतना ही!
अरे पर्दे से खिड़की ढको वो प्रकाश का टुकड़ा रुक गया है। अरे पर्दे से खिड़की ढको वो प्रकाश का टुकड़ा रुक गया है।
वो बेचारे तो अपने चढ़ावे के लिये खुद का बेटा होते हुए भी दूसरों पे निर्भर हैं।" वो बेचारे तो अपने चढ़ावे के लिये खुद का बेटा होते हुए भी दूसरों पे निर्भर हैं।"
इस गांव के सभी किसानों ने गेहूं की फसल बोई थी। इस गांव के सभी किसानों ने गेहूं की फसल बोई थी।
मम्मी के हाथों तो कभी-कभार पिटाई हुई है। पापा ज़्यादातर शांत ही रहते हैं। मम्मी के हाथों तो कभी-कभार पिटाई हुई है। पापा ज़्यादातर शांत ही रहते हैं।
पीछे वो लड़का निर्निमेष पलकों से उसकी ओर ही देख रहा होता था। पीछे वो लड़का निर्निमेष पलकों से उसकी ओर ही देख रहा होता था।
एक खाली से पड़े खंडहर में धूल से लिपटे-पुते हुये कंचे खेल रहे हैं एक खाली से पड़े खंडहर में धूल से लिपटे-पुते हुये कंचे खेल रहे हैं