Vikas Wings

Children Stories Inspirational Children

4.5  

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बालहठ

बालहठ

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बालहठ से हम सभी परिचित है, कृष्ण के बालहठ के किस्से किसने नहीं सुने है, लेकिन इस कहानी में हम राजा मीर के पुत्र इयन के बालहठ की कहानी सुनेंगे.., इस कहानी में जानेंगे कि क्यों इयन, ईश्वर से मिलने की हठ कर रहा है, और फिर जानेंगे कि पूरी प्रजा ही इयन के हठ से कैसे परेशान हो गई और अंत में जानेंगे कि इयन कैसे शांत हुआ, उसने किस प्रकार ईश्वर से मिलने की हठ छोड़ी…! इससे पहले आप सभी को सादर प्रणाम! मैं यहां नया हूं, और यह मेरी पहली कहानी हैं, मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी रचनाओं से आप सभी को प्रभावित कर सकूं।


रंताज नामक एक प्राचीन राज्य था, जिसके शासक राजा मीर थे। राजा मीर की पत्नी का नाम हकीबा हैं। राजा मीर और रानी हकीबा के छ: बेटे है। बड़े बेटे का नाम अफजल, दूसरे बेटे का नाम वृजल, तीसरे का नाम अमजत, चौथे का नाम साजिर, पांचवें का नाम हमीद और सबसे छोटा बेटे का नाम इयन हैं। इयन की उम्र 4 वर्ष है। इयन के गोल से चेहरे पर मासूमियत झलकती है, परंतु एक मासूम सा बच्चा कब एक हठी शैतान बालक बन जाए किसे पता।


कभी अपने पिता के साथ युद्ध लड़ने के लिए जाने की हठ करता तो कभी तलवारबाजी सीखने के लिए तलवार उठाने की कोशिश में लग जाता। कभी सब इयन की बातें सुनके मगन हो जाते तो कभी उसकी शैतानियां सबको रुलाती है।


इयन रानी हकीबा को भी काफी तंग करता है, लेकिन रानी हकीबा उसे ईश्वर तुम से नाराज हो जायेंगे कहकर शांत करा देती है। एक दिन फिर इयन रानी हकीबा को तंग कर रहा था तो रानी हकीबा ने उससे कहा, “इयन ईश्वर तुम से नाराज हो जायेंगे कि तुम अपनी मां की नहीं सुनते हो और मुझे तंग करते हो।“ इयन डरते-डरते तुतलाते हुए अपनी मां से पूछता है, “मां ईश्वर सच में मुझसे नाराज़ हो जायेंगे।”


हकीबा इयन की भोली सी शक्ल देख कर बिलकुल नहीं पिघलती और इयन से कहती कि अगर तुम सो जाओगे तो ईश्वर तुम्हें प्यार करेंगे और हमेशा तुम्हारा साथ देंगे। इयन कभी तो हकीबा की बातें सुनकर सो जाता लेकिन कभी वह अपनी मां से पूछने लगता कि “मां अगर मैं सो जाऊंगा तो ईश्वर मुझे माफ कर देंगे और आप हमेशा कहती हो कि वह मुझसे मिलने आयेंगे, ईश्वर कभी आते तो है नहीं मुझसे मिलने।” 


हकीबा कहती है, “तुम इतने सवाल करते हो ना, इसलिए वो तुम से मिलने नहीं आते।”


इयन कहता है, मां अगर मैं आज सो जाऊं, और आप से कोई प्रश्न भी न करूं, तो क्या ईश्वर मुझसे मिलने आयेंगे?

हकीबा कहती है “बिलकुल! कल वह तुमसे मिलने जरूर आयेंगे।” इयन इतना सुनकर ही सो गया, हकीबा ने भी उसे कह दिया था कि अगर आज तुम सो जायेगे तो कल ईश्वर तुमसे मायने आयेंगे। 


सुबह हुई, इयन ने अपनी आंख खोली अपने कक्ष में इधर-उधर देखने लगा, लेकिन उसे ईश्वर कहीं नजर नहीं आ रहे थे। मां के पास पहुंचा और कहना लगा “मां ईश्वर मुझसे अभी भी नाराज है क्या?” हकीबा को कहां पता था कि आगे क्या होने वाला है, उसने इयन की टांग खींचते हुए कह दिया कि “ईश्वर तुम से अब और अधिक नाराज हो गए है, क्योंकि उठने के बाद तुम्हें उनका धन्यवाद नहीं किया।“


इसके बाद इयन मंदिर की ओर दौड़ा और ईश्वर की एक मूर्ति रखी हुई थी, उस के पास जाकर रोने लगा और रोते-रोते कह रहा था कि ईश्वर मुझे इस बार माफ कर दिए, अगली बार से ऐसा नहीं करूंगा, आप अभी मुझसे मिलने आइए, इसी वक्त। हकीबा ने काफी समझाया कि आज ईश्वर नहीं आए तो कल आ जायेंगे, तुमने बस एक छोटी सी गलती कि है ईश्वर तुम्हें माफ कर देंगे। लेकिन इयन अब सिर्फ ईश्वर से मिलने की रट लगाकर बैठ गया था। इयन ने कुछ ही समय में पूरा महल अपने सर में उठा लिया था। 


इयन बस ईश्वर से मिलने की रट लगाकर बैठ गया था, वो रोते हुए कह रहा था कि ईश्वर उसे नाराज हो गए, इसलिए वह उससे मिलने नहीं आए। वो ईश्वर से वादे कर रहा है कि ईश्वर अब मैं अपनी मां को तंग नहीं करूंगा, आप मुझे माफ कर दिए और मिलने आ जाइए। हकीबा ने भी लाख समझाया कि ईश्वर तुमसे नाराज नहीं है वो आज किसी और से मिलने गए होंगे इसलिए नहीं आए, कल पक्का तुमसे मिलने आयेंगे।


इयन बस ईश्वर की रट लगाकर बैठ गया था।

अब हकीबा उसे कैसे समझाएं कि ईश्वर को किसी ने नहीं देखा बस वो एक अलौकिक शक्ति है जो सिर्फ महसूस की जा सकती है।


राजा मीर शिकार से लौटे तो रानी हकीबा ने राजा को सारी बात बताई। 


राजा मीर ने रानी हकीबा से कहा कि आप चिंता न करिए, मैं सब संभाल लूंगा। राजा मीर इयन के पास गए और इयन को किसी तरह ईश्वर से भटकाने की कोशिश करते हुए कहते है “इयन तुम तलवारबाजी सीखना चाहते हो न, चलो मैं तुम्हें आज तलवारबाजी सीखता हूं।”


इयन कहता है “पिता जी कल मैंने मां का कहा नहीं सुना तो ईश्वर मुझसे नाराज़ हो गए है, आप मुझे बताइए कि मैं ईश्वर को कैसे मनाऊं।”


राजा मीर जितना आसान समझ रहे थे यह उतना आसान था नहीं। राजा ने फिर से इयन को ललचाते हुए कहा “अगर तुम तलवारबाजी सीख जाओगे तो मैं तुम्हें युद्ध में भी अपने साथ ले चलूंगा।”


इयन कहां मानने वाला था, उसे तो बस ईश्वर को मनाना था।

इयन कहता है “पिता जी अगर ईश्वर ही मुझसे नाराज़ रहेंगे तो बताई मैं युद्ध कैसे जीतूंगा? इसलिए आप मुझे पहले बताइए कि मैं ईश्वर को कैसे मनाऊं?”


राजा मीर कहते है “अगर तुम हमेशा अपनी मां की बात सुनोगे तो ईश्वर तुमसे प्रसन्न हो जायेंगे।”


इयन कहने लगा “कल मां ने ही तो कहा था कि आज ईश्वर मुझसे मिलने आयेंगे, लेकिन वह मुझसे मिलने नहीं आएं।”


राजा मीर उसकी बातें सुनके हैरान थे क्यों कि एक चार वर्ष के बालक के मुख से ऐसी बातें उन्होंने पहले कभी नहीं सुनी थी, और थोड़े से परेशान भी थे, वो क्या करें कि उनका पुत्र ईश्वर से मिलने की हठ छोड़ दे।


इयन की हठ की खबर पूरे राज्य में फैल गई थी, कुछ संत राजा से मिलने आए और राजा को समझाया कि वह इयन से सच बोल दे कि ईश्वर इतनी आसानी से नहीं मिलते और हर किसी को नहीं मिलते ईश्वर को सिर्फ कुछ खास लोगों ने ही महसूस किया है। वह ईश्वर से नहीं मिल सकता। लेकिन राजा मीर ने ऐसा करना से मना कर दिया। राजा मीर ने संतों से पूछा कि अगर आप बता सके कि ईश्वर कहां मिल सकते है और कैसे मिलेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा।


संत राजा मीर की बातें उनके थोड़े अचंबित हुए क्योंकि इयन तो बालक था वो अपने बालहठ के कारण ऐसी बातें कर रहा है लेकिन राजा मीर, एक राजा होते हुए ऐसी बातें कर रहे है कि ईश्वर कहां और कैसे मिलेंगे? एक संत ने राजा से कहा कि महाराज अगर प्रजा आपकी ऐसी बातें सुनेंगी तो हसेगी, एक राजा को ऐसी बातें सोभा नहीं देती। 


राजा ने संत से कहा “अगर आप मेरे बेटे को किसी ऐसी चीज से शांत कर सकते हैं जो ईश्वर की प्रति उसकी श्रद्धा को बढ़ाए तो बताई अन्यथा मैं अपने बेटे से सच नहीं कह सकता अगर मैंने उसे सच कहा तो शायद उसके मन में ईश्वर के प्रति घृणा आ जायेगी।


संतों ने मिलकर भी लाख कोशिशें की, कि इयन ईश्वर से मिलने की रट छोड़ दे, लेकिन उनकी एक कोशिश भी काम नहीं आई। सुबह से शाम हो गई, इयन खाने, पीने की सुध भूल गया लेकिन उससे ईश्वर नाराज है, इसलिए मिलने नहीं आए और वह ईश्वर को कैसे मनाएं? यह प्रश्न करना नहीं भुला। 


रात हो गई, रात को भी इयन ने कुछ नहीं खाया। राजा मीर और रानी हकीबा इयन को समझा समझा के थक गए थे कि हम ईश्वर कि संतान है वो हम से नाराज नहीं होते, वो आज किसी और से मिलने गए होंगे, वो शायद किसी मुश्किल में होगे, इसलिए आज तुमसे मिलने नहीं आए। लेकिन इयन ईश्वर से बिना मिले, जब तक ईश्वर उसको माफ न करदे, हठ नहीं छोड़ने वाला था।


जब इयन बिना कुछ खाए ही सो गया,तब राजा मीर और रानी हकीबा ने चैन की सांस ली। राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि कल सुबह से पहले राजकुमार के कक्ष को खिलौनों से भर दो, राजकुमार की आंख खुलने से पहले उनके कक्ष में राज्य में जितने भी प्रकार की मिठाइयां बनाती है, वो सब बनाके रख दो, जिससे मेरा बेटा ईश्वर से मिलने की हठ छोड़ दे। 


सुबह हुई राजकुमार इयन ने अपनी आंख खोली तो पूरा कक्ष खिलौनों से भरा हुआ था, वह खिलौने देख सच में ईश्वर को भूल गया, भागता हुआ अपनी मां के पास पहुंचा, हाथ में एक लकड़ी से बना घोड़ा था और दूसरे में एक मिठाई थी।


मुस्कुराते हुए इयन ने अपनी मां से पूछा “मां इतने सारे खिलौने मेरे लिए किसने बनवाएं हैं?” रानी हकीबा इयन को मुस्कुराता देख, खुशी से पागल हो गई, वो कुछ कहती उससे पहले उन्होंने इयन को अपनी गोद में उठा लिया और कहने इयन को समझाने हुए कहती है, “कल तुम तो सो गए थे, लेकिन उसके ईश्वर तुम से मिलने आएं थे, वो हम सब के लिए काफी मिठाइयां और तुम्हारे लिए खिलौने लाए थे।  


इयन के चेहरे से जो मुस्कान कल पूरे दिन गायब रही वो लौट आई थी और उसने कहा “सच मां! ईश्वर मुझसे मिलने आए थे?” हकीबा ने कहा, “ईश्वर तुम से मिलने आए थे।” इयन कहता है “अपने मुझे नींद से उठाया क्यों नहीं, मुझे भी ईश्वर से मिलना था।” हकीबा इयन से कहती है “मैं तो तुम्हें नींद से उठा रही थी लेकिन ईश्वर ने कहा कि मैं आज सुबह से उससे मिलने नहीं आया, तो वह पहले से मुझसे नाराज़ है, और अगर तुमने उसे फिर नींद से उठाया तो वह फिर मुझसे नाराज हो जाएगा, कल जब इयन उठे तो उसे बता देना कि मैं उसे मिलने आया था और वह सो गया।


इयन अपनी मां से पूछता है “मां ईश्वर कैसे दिखते है और वो फिर मुझसे कब मिलने आयेंगे।” हकीबा कहती है “ईश्वर बिलकुल तुम्हारी तरह दिखते है, और वो कह भी रहे थे कि इयन मेरा सबसे प्रिय बालक है, और मैं उसे जल्द ही फिर मिलने आऊंगा।”


यह सुन के इयन कि खुशी का ठिकाना नहीं है, वो महल में अपने लकड़ी के घोड़े की सवारी करते हुए घूम रहा है, चिल्ला चिल्लाकर कह रहा है कि कल रात मुझसे ईश्वर मिलने आएं थे, मेरे लिए बहुत सारे खिलौने और मिठाइयां देकर गए हैं। 


इयन अपने बड़े भाइयों से पूछता है “भैया क्या कभी आपसे ईश्वर मिलने आएं है? उन सबने कहा नहीं हमसे कभी ईश्वर मिलने नहीं आए। इयन उनको चिढ़ाते हुए कहता है “आयेंगे भी क्यों वो तो सिर्फ मुझसे प्यार करते है और आप लोग मां को कितना तंग करते है, मां की सुनते भी नहीं। ईश्वर तो आपसे नाराज होंगे, वो आपसे मिलने क्यों आयेंगे।”


अमजत ने भी अपना मुंह थोड़ा सा बिगड़ लिया और दुखी भाव से कहा “मां ने बताया ईश्वर कह रहे थे कि वो सिर्फ इयन को प्यार करते है, तो वो हमसे मिलने क्यों आयेंगे, उनके लिए तो सबसे प्रिय इयन है।


इतना सुनकर इयन वहां से भी आगे बड़ गया। जो महल कल उससे परेशान था आज उसकी किलकारियां सुन के खुशी से नाच रहा था।  


“बचपन गुजरा जवानी आई, बचपन के बाद चैन की नींद किसे आई!”



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