अपनों के संग होली के रंग
अपनों के संग होली के रंग
आज प्रिया की शादी को 22 साल हो गए है। अपने परिवार को छोड़ना एक बेटी के लिए कितना मुश्किल होता है, ये वही जान सकता है। जिसके बेटी हो लेकिन प्रिया की ससुराल में न तो ननद है ना ही कोई बुआ तो उसके ससुराल में बेटी का दर्द कभी नहीं समझा गया।
सास तो मायके जाने से मना करती साथ ही साथ ससुर और देवर भी बोल पड़ते क्या करोगी मायके जाकर?? सुमित प्रिया के पति का भी यही कहना था जब तुम्हें सब सुख सुविधा है तो फिर मायके किस लिए जाना। हर बार ऐसा ही होता रिया किसी भी तीज त्यौहार पर अपने मायके नहीं जा पाई।
रिया को बचपन से ही होली काफी पसंद थी। रंग बिरंगे रंगों से खेलना उसे अच्छा लगता था। रिया की दिली तमन्ना थी कि वो होली अपने मायके में खेल सके लेकिन रिया किसी भी होली पर अपने घर न जा सकी। उसे अपने मायके की होली बहुत याद आती।
कैसे पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो कर लकड़ियों को जमा करता, बड़गुल्ले की मालाएं बनाई जाती जिनमे चाँद, सितारे, सूरज के आकार वाली। शाम को सब घर के सदस्यों के साथ होली की पूजा अर्चना करते और फिर पंडित जी आकर होली मंगलाते थे। अगले दिन सुबह से ही बच्चों के साथ रंग खेलना, मोहल्ले के कोई भी घर न छोड़ना, सब घर घर जाकर होली खेलना, सब सहेलियों को रंग लगाना, मिठाई खाना, इस दिन मम्मी के हाथ से बनी स्पेशल गुजिया जो रिया को बहुत पसंद थी। सब याद आ जाती थी लेकिन अब यह सब मन ने ही रह गया था।
रिया की बेटी जो 20 साल की है और मेडिकल की तैयारी करने के लिए जयपुर गयी थी। छुट्टी न मिलने के कारण होली पर घर नहीं आ सकी तो आज पहली बार सास ससुर, पति और देवर को अहसास हुआ कि त्योहारों की जान तो घर की बेटी होती है। यदि वो ही न हो तो कोई भी त्यौहार फीका लगता है।
आज प्रिया भी यही सोच रही है कि अब तो मुझे आदत डाल लेनी चाहिए अब तो मेरी खुद की बेटी पढ़ाई के कारण और बाद में ससुराल वालों के कारण अपने घर नहीं आ पाएगी।
प्रिया सोच ही रही थी कि उसकी सास ने कहा बहु आज हम सबको तुम्हारे दुख का एहसास हो गया है, आज हमारी पोती होली पर घर नहीं आई तो हमे कितना दुख हो रहा है। उसी तरह तुम्हारे परिवार वाले भी हर साल तुम्हारा इंतजार करते होंगे। प्रिया बहू इस बार तुम अपने मायके वालों के साथ होली खेलो। सच कहा है... होली के रंग तो अपनों के संग है।
अब प्रिया अपनी सास के गले लगकर रोने लगी और बोली आज आपको पता चला कि एक बेटी का सुख दुख उसके परिवार के साथ होता है। आज से मेरी भी होली के रंग अपनों के संग ही सजेगी।
